हिंदू धर्म में निर्माण और सृजन के देवता माने जाने वाले विश्वकर्मा जी हस्तलिपि कलाकार है। भारत में इन्हें साधन, औजार, युक्ति और निर्माण के देवता के रूप में पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा जयंतीके दिनविशेष रूप से औजार, मशीन तथा उद्योगों और दुकानों आदि में इनकी पूजा की जाती है। विश्वकर्मा पूजा को लेकर कई भांतियाँ है।
कई लोग विश्वकर्मा पूजा भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाते है, तो कई लोग विश्वकर्मा पूजा दिपावली के दूसरे दिन मनाते है। विश्वकर्माजयंती को लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है।
विश्वकर्मापूजा विधि
- विश्वकर्मा पूजा के लिए सबसे पहले प्रात:काल उठकर स्नानादि कार्य कर लें।
- इस पूजा को अपनी पत्नी के साथ ही करना चाहिए।
- अपनी पत्नी सहित यज्ञ के लिए पूजा स्थान पर बैठें।
- हाथ में फूल, अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का स्मरण करते हुए, “ॐ श्री श्रिष्टनतया सर्वसिद्धहया विष्वकर्माया नमो नमः” इस मंत्र का उच्चारण करें।
- भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, सुपारी आदि चीजें अर्पित करें।
- इसके बाद अपने औजारों या मशीनों की पूजा करके तिलक लगाएं।
- यज्ञ के समाप्त होने के बाद प्रसाद का भोग भगवान को लगाकर सब में बांट दें।
- विश्वकर्मा पूजा को करने से कारोबार या व्यापार में धन-धान्य की प्राप्ति होती है।