Vijayadashami (Dussehera) 2018, Dussehera Puja Muhurat and Significance | Shivology


Dussehera 2018 | Dussehera Date, Muhurat, Significance & Katha

दशहरा 2018 | दशहरा तिथि, मुहूर्त, महत्व और कथा

Festivals 2018

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दशहरा

दशहरा पूरे भारत वर्ष में मनाया जाने वाला प्रमुख हिन्दू त्यौहार है। दशहरा को विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भगवान राम ने रावण का अंत करके माता सीता को उसकी कैद से आजाद करवाया था। इस दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था इसलिए इस दिन को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा आश्विन माह के दशमी तिथि के शुक्ल पक्ष में इसका आयोजन किया जाता है। इस त्यौहार को पूरे भारत में बडे ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।  

 

दशहरा की विशेषता

भगवान राम ने दशहरा के दिन अन्याय और अधर्म का विनाश कर न्याय व धर्म की स्थापना की थी।

इस दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन आप कोई भी शुभ काम शुरू कर सकते है।

दशहरे के दिन रावण के दस सिर जो दस बुराइयों का प्रतीक थे जैसे:- काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, अहंकार, आलस्य आदि का अंत हुआ था।

दशहरे से नौ दिन पहले रामलीला का आयोजन किया जाता है और दसवें दिन रावण का पुतला बनाकर उसे फूंका जाता है।

इस दिन लोग मेला देखने जाते है और इसे धूमधाम के साथ मनाते है।

इस दिन सब बुराइयों का त्याग करके सदप्रेरणा का आवगमन किया जाता है।

 

दिंनाक/मुहूर्त

इस साल दशहरा 19 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा।

इसका शुभ विजय मुहुर्त 02:00 से लेकर 02:45 तक का है और अपराह्न मुहूर्त 01:14 से लेकर 03:31 तक है।

 

दशहरे की कथा

भगवान रामचंद्रजी को अपने पिता द्वारा चौद्ह वर्ष का वनवास मिला था। इस वनवास काल के दौरान लंका नरेश रावण ने रामजी की पत्नी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए अपने भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानरों की सेना के साथ मिलकर रावण के खिलाफ युद्ध करने का निश्चय किया। लेकिन रावण बहुत ही शक्तिशाली था।

उस समय भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा की पूजा की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद सभी देवी-देवता भगवान राम के साथ युद्ध में शामिल हो गए। भगवान राम ने दसवे दिन रावण का वध करके सीता को उस बंधन से मुक्त कराया। साथ ही भगवान राम की इस जीत को दशहरे के रूप में आज भी मनाया जाता है।

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