ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का गोचर और वक्री क्या होता है और इसके क्या प्रभाव होते हैं? | शिवॉलजी


Transit and Gochar in Astrology in Hindi

ज्योतिष में गोचर

Transit and Gochar

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ग्रह हमेशा चलायमान रहते है | यह सत्य है की जातक की जन्मकुंडली में ग्रहो की स्थिति हमेशा एक जैसे रहती है और यह बदलती नहीं है| ग्रहो की यही स्थिति कई प्रकार के अच्छे और बुरे योग बनाती है | ग्रहो द्वारा दिए जाने वाले फल हमे समय-समय पर उनकी महादशा और अन्तर्दशा में मनुष्य को मिलते रहते है |
ग्रह अपनी दशा में हमे फल देंगे ये तो तय है लेकिन ये फल हम तक पहुंचाएगा कौन? ज्योतिष के अनुसार हमारे कर्मो की पोटली हम तक पहुंचाने का काम गोचर करता है | जन्मकुंडली में ग्रहो की स्थिति हमेशा एक जैसी रहती है लेकिन समय के साथ ये चलते रहते है और सौरमंडल में अपनी-अपनी कक्षा में घूमते हुए अपना चक्र पूरा करते है |
उचित समय आने पर ग्रह हमारे कर्मो के अनुसार हमारे फलो की टोकरी गोचर को पकड़ा देते है और वो वैसे की वैसे हमे पकड़ा देता है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाग्यफल में गोचर ना तो अपनी और से कुछ जोड़ सकता है और ना ही घटा सकता है |
उदहारण के तौर पर किसी की कुंडली में संतान योग है लेकिन वह फलीभूत कब होगा | ज्योतिष में दशा काल कम से कम 6 साल का होता है और 6 वर्ष का समय कोई कम नहीं होता है तो इसे स्थिति में गोचर की भूमिका शुरू होती है अर्थात जिस समय ग्रह गोचरवश अनुकूल स्थिति में आएंगे तो वह समय संतान योग के फलीभूत होने का समय होगा |
वैसे तो ज्योतिष में गोचर देखने के लिए चन्द्रमा को प्रमुखता दी हुई है परन्तु इसका विचार लग्न से भी अवश्य करना चाहिए |



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