एक जातक के जीवनकाल में जो भी घटता है वह जन्म के समय के ग्रहों की स्थिति के आधार पर और उसके बाद गोचर के अनुसार निर्धारित होता है |
ज्योतिष में बृहस्पति और शनि सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह है | शनि ढाई साल में अपनी राशि बदलता है और बृहस्पति एक साल में अपनी राशि बदलते है | ज्योतिष के अनुसार किसी भी मनुष्य के जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण घटना तब तक फलीभूत नहीं होती जब तक उसे शनि की सहमति और बृहस्पति का आशीर्वाद ना प्राप्त हो |
उदारहण के लिए कोई व्यक्ति विदेश जाना चाहता है लेकिन जब तक गोचर में शनि और बृहस्पति उस के 12 भाव को दृष्ट नहीं करेंगे उस का विदेश जाने का कार्य नहीं हो पायेगा| इसी प्रकार नौकरी तब तक नहीं लग सकती जब तक शनि और बृहस्पति दशम भाव और दशमेश को एक साथ दृष्ट ना करे | विवाह के लिए सप्तम, सप्तमेश को शनि और बृहस्पति का आशीर्वाद मिलना चाहिए|
शनि और बृहस्पति धीमी गति से चलने वाले ग्रह है और होने वाली घटनाओ को इनका आर्शीवाद मिलना आवश्यक है | इनके आशीर्वाद के बाद ही तेज गति से चलने वाले ग्रहो के गोचर को लगाना चाहिए |