पाया या मूर्तिनिर्णय गोचर में ग्रहो के अनुसार फलकथन करने के लिए एक विशेष विधि है | किसी भी व्यक्ति की जन्म राशि से शनि जिस भी भाव में गोचर कर रहा होता है| उसके अनुसार शनि के पाया अर्थात मूर्तिनिर्णय के फल का विचार किया जाता है| मूर्तियां चार प्रकार की होती है (1) स्वर्ण (2) रजत (3) ताम्र (4) लोह | इनमें स्वर्ण मूर्ति सबसे अधिक शुभ होती है और घटते हुए क्रम के अनुसार लोह मूर्ति सबसे कम शुभ मानी जाती है |
शनि के साथ-साथ यह भी अवश्य विचार करे की उसे समय गोचर में चन्द्रमा किस राशि में स्थित है |
स्वर्ण मूर्ति - जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 1, 6, 11 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये स्वर्ण के माने जाते है| यह जातक के लिए अत्यधिक शुभ एवं स्वर्णिम परिणाम देने वाला होता है |
रजत मूर्ति – जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 2, 5, 9 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाद रजत के माने जाते है| यह जातक को जीवन में आगे बढ़ने के अच्छे अवसर प्रदान करता है |
ताम्र मूर्ति – जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 3, 7, 10 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये ताम्र के माने जाते है| यह जातक को मध्यम होकर मिश्रित फल प्रदान करता है |
लोह मूर्ति - जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 4, 8, 12 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये लोह के माने जाते है| यह जातक को परेशानियां और समस्याएं देता है |