गंगोत्री मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी, रहस्य, विशेषता और कैसे पहुंचे? | शिवॉलजी


What is the Significance of Gangotri Temple?

गंगोत्री मंदिर का क्या महत्व है?

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गंगोत्री मंदिर

गंगोत्री मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के भागीरथी नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर देवी गंगा को समर्पित है। गंगा नदी दुनिया की सबसे लंबी और पवित्र नदी मानी जाती है। यह स्थान गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गंगोत्री मंदिर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है।

 

गंगोत्री मंदिर के बारे में

उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है  गंगोत्री मंदिर। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती पर माँ गंगा का जिस स्थान पर अवतरण हुआ था, उसे गंगोत्री तीर्थ के नाम से जाना जाता है। गंगोत्री मंदिर हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थस्थल है। यह मंदिर समुद्र तल से 3200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी नदी के किनारे बने इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में गोरखा के जनरल अमर सिंह थापा ने बनवाया था। गंगोत्री मंदिर में प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीने में देवी गंगा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते है।

 

गंगोत्री मंदिर की विशेषता

गंगोत्री मंदिर के पास में ही गौरीकुण्ड और केदारकुण्ड है। मंदिर से 19 किमी. की दूरी पर स्थित है गौमुख। जो भारत की पवित्र कही जाने वाली गंगा नदी का उद्गम स्थल है।

यह वह स्थान है जहाँ से गंगा सबसे पहले हिमखण्ड के गर्भ से बाहर निकलती है और अपनी महायात्रा का आरंभ करती है।

गंगोत्री मंदिर अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर खुलता है, जो मई के महीने में आती है और यम द्वितिया या भाई दूज पर बंद होता है जो नवंबर माह में आता है। गंगोत्री मंदिर बाकी छः महीने के लिए बंद रहता है।    

यह पवित्र एवं उत्कृष्ठ मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार पत्थरों से बना है। मां गंगा का यह मंदिर बेहद आकर्षक हैं, लोग इस मंदिर की सुंदरता को एकटक नजरों से देखते रह जाते हैं।

गर्मी के मौसम में यहाँ का मौसम बहुत सुहावना होता है और लोग इस समय गंगात्री मंदिर के दर्शन करने के लिए आते है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीरामचंद्र के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान शिव की प्रचंड तपस्या की थी। इस पवित्र शिलाखंड के निकट ही 18वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया।

भागीरथ ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करके देवी गंगा को धरती पर लाने का पुण्य प्राप्त किया। जिससे सागर के पुत्रों का तो उद्धार हुआ, साथ ही आज गंगा सम्पूर्ण जीव-जगत का कल्याण कर रही है ।

 

गंगोत्री मंदिर कैसे पहुँचे ?

यदि आप गंगोत्री मंदिर की यात्रा करने का मन बना रहे है, तो हम आपको वहाँ तक पहुँचने के लिए परिवहन की सारी जानकारी दे रहे है ।

हवाई जहाज

गंगोत्री से निकट हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो गंगोत्री से 260 किमी. दूर है। देहरादून के हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही आप टैक्सी द्वारा गंगोत्री जा सकते है और बस से भी जा सकते है।

रेलवे द्वारा

अगर आप रेल के माध्यम से गंगोत्री जा रहे है, तो आप ऋषिकेश तक ही जा सकते है। ऋषिकेश से गंगोत्री 250 किमी. दूर है। ऋषिकेश से गंगोत्री के लिए टैक्सी, बस आदि सेवाएं उपलब्ध है।

सडक द्वारा

गंगोत्री पहुँचने के लिए दो प्रमुख तरीके है। पहला रास्ता हरिद्वार और दूसरा ऋषिकेश है। यहाँ से बस, टैक्सी आदि सेवाएं उपलब्ध है। गंगोत्री , उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के अधिकांश प्रमुख शहरों के साथ सड़क द्वारा जुडा हुआ है। दिल्ली से गंगोत्री 452 किमी. और ऋषिकेश से 229 किमी. की दूरी पर स्थित है।

गंगोत्री मंदिर पूजा-अर्चना

इस मंदिर में गंगोत्री मंगल आरती, संध्या आरती और गंगा पूजा होती है।   



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