इस्कॉन मंदिर
देश के प्रसिद्ध मंदिरों में इस्कॉन मंदिर की गिनती होती है। दुनियाभर में यह मंदिर श्रीकृष्ण का प्रचार और प्रसार करने के लिए जाना जाता है। इस्कॉन मंदिर की स्थापना श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने सन् 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी। इस्कॉन का पूरा नाम अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ है। स्वामी प्रभुपादजी ने पूरे संसार में भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को पहुँचाने के लिए इस मंदिर की स्थापना की थी।
इस्कॉन मंदिर के बारे में
न्यूयॉर्क से शुरू हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा जल्द ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। इस मंदिर में मिलने वाली असीम शांति के कारण ही पूरे विश्व में इसका अनुसरण किया जाता है। इस समय लगभग 400 से अधिक इस्कॉन मंदिरों की स्थापना हो चुकी है। इस्कॉन का सम्बंध गौडीय वैष्णव संप्रदाय से है। यहाँ पर वैष्णव का अर्थ होता है भगवान विष्णु की पूजा और गौड़ का सम्बन्ध पश्चिम बंगाल के गौड़ प्रदेश से है और इसी जगह से वैष्णव संप्रदाय की शुरुआत हुई थी।
इस्कॉन मंदिर की विशेषता
इस्कॉन के अनुयायियों ने विश्व में गीता, हिंदू धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया।
इस्कॉन मंदिर के चार नियम है :- तामसिक भोजन का त्याग, अनैतिक आचरण से दूर रहना, एक घंटा शास्त्राध्ययन और हरे कृष्णा हरे कृष्णा की 16 बार माला जपना।
यहाँ के भक्त चार चीजों को धर्म मानते है :- दया, तपस्या, सत्य और शुद्ध मन।
सभी इस्कॉन मन्दिरों में पूजा की उच्च गुणवत्ता का पालन किया जाता है और कुछ प्रक्रियाओं को नित्य रूप से किया जाता है। जिसमें से कुछ हैं – छः प्रकार की आरतियाँ, छः प्रकार के भोग और इष्टदेव को चढ़ावा, पुजारियों द्वारा धार्मिक विधि-विधान के साथ इष्टदेवों की अनुशासित पूजा।
इस्कॉन मन्दिरों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गौरी पूर्णिमा, रामनवमी, गोवर्धन पूजा और राधाष्टमी जैसे त्यौहार बहुत ही भव्य तरीके से मनाये जाते है।
इस्कॉन मंदिर में देवताओं को दिन में दो बार तैयार किया जाता है और देवताओं की प्रार्थना पूरी होने के बाद भक्तों को ‘भोग का प्रसाद’ दिया जाता है।