काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह मंदिर हिंदू के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। वाराणसी शहर को काशी के नाम से जाना जाता है। इसलिए यह मंदिर काशी विश्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में
ऐसा माना जाता है कि काशी में महादेव साक्षात् रूप में वास करते है इसलिए इसे शिव की नगरी भी कहा जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर बना हुआ है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ पर भगवान शिव वाम रूप में माँ भगवती के साथ विराजमान है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन और गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी तीनों लोकों में सबसे सुंदर नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है। इसे आनन्दवन, आनन्दकानन, अविमुक्त क्षेत्र और काशी आदि नामों से स्मरण किया जाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर की विशेषता
ऐसी मान्यता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था, तब सूर्य की पहली किरण काशी की धरती पर पडी थी। तभी से काशी ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र बन गई।
गंगा किनारे संकरी गली में स्थित विश्वनाथ मंदिर कई मंदिरों और पीठों से घिरा हुआ है। यहाँ पर एक कुआँ है, जो मंदिर के उत्तर में स्थित है जिसे ज्ञानवापी की संज्ञा दी जाती है।
मंदिर के ऊपर एक सोने का बना छत्र है। इस छत्र को चमत्कारी माना जाता है और इसे लेकर एक मान्यता है, अगर भक्त इस छत्र के दर्शन करने के बाद कोई भी कामना करते है तो उसकी वो मनोकामना पूरी हो जाती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में माँ, शक्ति के रूप में विराजमान हैं और दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप में विराजमान हैं। इसीलिए काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है।
श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं। इस ज्योतिर्लिंगों में शिव और शक्ति दोनों साथ ही विराजते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है।
बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार हैं, जिनका नाम शांति द्वार, कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार और निवृत्ति द्वार। इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग ही स्थान है। पूरी दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और तंत्र द्वार भी हो।
भगवान शिव का ज्योतिलिंग गर्भग्रह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब संपूर्ण विद्या और हर कला में परिपूर्ण होना होता है।
काशी विश्वनाथ कैसे पहुँचे ?
हवाई अड्डा
काशी विश्वनाथ मंदिर के सबसे निकटतम लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जहाँ से, मंदिर लगभग 25 किमी दूर है। हवाई अड्डे के बाहर से कैब और बसें, निजी और सार्वजनिक सेवाएं उपलब्ध हैं, जो आपको सीधे हवाई अड्डे से मंदिर ले जा सकती हैं।
रेवले स्टेशन
वाराणसी शहर रेलवे स्टेशन अन्य रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है। वाराणसी सिटी स्टेशन मंदिर से सिर्फ 2 किमी दूर है और वाराणसी जंक्शन मंदिर से करीब 6 किमी दूर है। मुगलसराय जंक्शन स्टेशन 17 किमी दूर है, लेकिन लगभग 4 किमी दूर मदुआदीह स्टेशन भी है।
सडक द्वारा
वाराणसी के लिए उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से लगातार निजी और सार्वजनिक बसों चलती है, साथ ही अन्य शहरों से सड़क द्वारा अच्छे से जुडा हुआ है। इसलिए मंदिर तक आप ऑटो रिक्शा या टैक्सी द्वारा पहुँच सकते है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा की जानकारी
इस मंदिर में पाँच आरती होती है।
- मंगला आरती
- भोग आरती
- संध्या आरती
- श्रृंगार आरती
- शयन आरती