तिरूपति बालाजी मंदिर
तिरूपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्रप्रदेश के तिरूमाला नामक पहाडियों पर स्थित है। तिरूपति बालाजी भगवान विष्णु के ही रूप है। ऐस कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान साक्षात् रूप से रहते है। इस मंदिर में देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से लोग भगवान के दर्शन करने के लिए आते है। तिरूपति बालाजी को तिरूमाला वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। तिरूपति बालाजी का मंदिर दक्षिण भारत का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर आंध्रप्रदेश राज्य की तिरूमाला पहाडियों की सातवीं चोटी पर स्थित है।
तिरूपति बालाजी मंदिर की रहस्यमयी बातें :-
- भगवान तिरूपति बालाजी को एक विशेष प्रकार का कपूर चढाया जाता है। जो एक खास कपूर को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस कपूर को साधारण पत्थर पर चढाया जाए, तो वह पत्थर चटक जाता है। लेकिन वही कपूर भगवान को चढाने पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाई देता है।
- तिरूपति बालाजी मंदिर में भगवान को चढाया हुआ फूल और तुलसी दल भक्तों में नहीं बाँटा जाता है। बल्कि भगवान को चढाया हुआ फूल और तुलसी को मंदिर परिसर में एक पुराने कुंए में डाल दिया जाता है और उसे पीछे मुडकर नहीं देखते है। ऐसा कहा जाता है कि पीछे मुडकर देखना अशुभ होता है।
- गुरूवार के दिन तिरूपति बालाजी की पूरी प्रतिमा को सफेद चंदन का लेप लगाया जाता है। जब लेप को हटाया जाता है, तो प्रतिमा पर माता लक्ष्मी का रूप प्रत्यक्ष दिखाई देता है।
- वेंकटेश्वर महाराज की प्रतिमा का पिछला हिस्सा सदैव नम रहता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप ध्यान से कान लगाकर सुने तो आपको समुद्र की लहरे सुनाई देगी।
- हमेशा मंदिरों के गर्भग्रह में भगवान की मूर्ति स्थापित की जाती है। लेकिन इस मंदिर में ऐसा नहीं है, तिरूपति बालाजी की मूर्ति वास्तव में मंदिर के दायीं ओर स्थित है।
- वेंकटेश्वर स्वामी के बाल्यावस्था के दौरान उन्हें मारने के लिए जिस छडी का इस्तेमाल किया थी। वह छडी आज भी मंदिर में स्थापित मूर्ति के दायीं ओर रखी है। ऐसा कहा जाता है कि इस छडी से भगवान के ठोड़ी पर निशान पड़ गया था। इसलिए भगवान की ठोड़ी पर चंदन लगाया जाता है।
- भगवान तिरूपति बालाजी के सिर के बाल उनके असली बाल है। ऐसा कहा जाता है कि श्रृंगार के समय उनके बाल कभी नहीं उलझते है और हमेशा मुलायम रहते है।
- इस मंदिर में एक दीया है, जो प्राचीनकाल से जलता आ रहा है। किसी को भी नहीं पता कि यह दीया कब और किसने जलाया था।