रवि पुष्य योग
ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते है और उसमें 8वें स्थान पर पुष्य नक्षत्र आता है, जो बेहद ही शुभ तथा कल्याणकारी नक्षत्र है, इसलिए इसे नक्षत्रों का सम्राट भी कहा जाता है। जब यह नक्षत्र रविवार के दिन होता है तो इस नक्षत्र तथा दिन के संयोग से रवि पुष्य योग बनता है। इस योग में ग्रहों की सभी बुरी दशाएँ अच्छी हो जाती हैं, जिसका परिणाम सदैव आपके लिए अच्छा होता है। रवि पुष्य योग को रवि पुष्य नक्षत्र योग भी कहा जाता है।
यह योग शुभ मुहूर्त का निर्माण करता है, जिसको सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों का शुभारंभ करने के लिए बेहद उत्तम माना गया हैं। यदि ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं है या कोई अच्छा मुहूर्त ना हो, ऐसी स्थिति में भी रवि पुष्य योग सभी कार्यों के लिए बहुत शुभकारी होता है। इस योग में सोने के आभूषण, प्रॉपर्टी और वाहन आदि की खरीददारी करना फायदेमंद होता है। रवि पुष्य योग में नए व्यापार और व्यवसाय की शुरुआत करना भी श्रेष्ठ होता है। इसके अलावा यह योग तंत्र-मंत्र की सिद्धि तथा जड़ी-बूटी ग्रहण करने में विशेष रूप से उपयोगी होता है। इस योग को मुहूर्त में गुरू पुष्ययोग के समान ही महत्व दिया जाता है।
रवि पुष्य योग |
आरंभ काल |
समाप्ति काल |
20 जनवरी, (रविवार) |
29:23+ |
30:50+ |
फरवरी 2019 |
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17 फरवरी, (रविवार) |
16:46 |
30:45+ |
मार्च 2019 |
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17 मार्च, (रविवार) |
6:30 |
24:12+ |
अप्रैल 2019 |
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14 अप्रैल, (रविवार) |
6:11 |
7:41 |
मई 2019 |
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मई में कोई रवि पुष्य योग नहीं है। |
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जून 2019 |
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जून में कोई रवि पुष्य योग नहीं है। |
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जुलाई 2019 |
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जुलाई में कोई रवि पुष्य योग नहीं है। |
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अगस्त 2019 |
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अगस्त में कोई रवि पुष्य योग नहीं है। |
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सितंबर 2019 |
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सितंबर में कोई रवि पुष्य योग नहीं है। |
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अक्टूबर 2019 |
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अक्टूबर में कोई रवि पुष्य योग नहीं है। |
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नवंबर 2019 |
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17 नवंबर, (रविवार) |
23:00 |
30:23+ |
दिसंबर 2019 |
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15 दिसंबर, (रविवार) |
6:37 |
28:02+ |