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यजुर्वेद में स्थित रूद्र (शिव) की स्तुति के लिए रचित श्री रुद्रम् चमकम् नामक स्तोत्र है। इसे 'श्री रुद्रम्' या 'शतरुद्रीय' या 'रुद्राध्याय' के नाम से भी जाना जाता हैं। इसका उल्लेख शिवपुराण में मिलता है।
श्रीरुद्रम, जिसमें भगवान शिव की उपासना की जाती है। यह रूद्रम् चमकम् भगवान शिव को समर्पित एक भजन है। यह वैदिक भजनों में से एक सबसे बड़ा हिस्सा है। श्री रुद्रम जो दो भागों में बंटा हैं। इसका पहला भाग यजुर्वेद के 16वें अध्याय में नामकम के रूप में जाना जाता है, जिसमें "नमो" शब्द का बार-बार प्रयोग किया गया है। यजुर्वेद के दूसरे भाग के 18वें अध्याय में शब्दों का बार-बार प्रयोग होने के कारण चमकम् के रूप में भी जाना जाता है।
रूद्रम चमकम् का लाभ
रूद्रम चमकम् का भजन करने से मनुष्य को अच्छा स्वास्थ्य, मन की शांति और परम आनंद की प्राप्ति होती है।
रुद्रम चमकम् का रोज भजन करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
इसका पाठ करने से यह हमारे अंदर के अज्ञान को हटाता है, और साथ ही हमें अपने-आप को समझने में भी मदद करता है।
इस यज्ञ को करने से रोगों, शैतानों और राक्षसों आदि के खिलाफ हमें एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
रूद्रम चमकम् का जाप करने से सांसारिक सुख और मुक्ति दोनों में लाभ मिलता है।
रूद्रम चमकम् का महत्व
रूद्रम चमकम् भगवान के विचार पर केंद्रित है। यह न केवल सुखद और अच्छे विचारों से जुड़ा हुआ है, बल्कि भयानक और विनाशकारी विचारों के साथ भी जुडा हुआ है। यह भजन भगवान के दोनों पहलूओं में मौजूद है। जैसे कि अच्छा और बुरा, सुंदर और बदसूरत, सही और गलत, सकारात्मक और नकारात्मक, उच्च और निम्न, कल्पनाशील और अकल्पनीय, मृत्यु और अमरत्व आदि में है। रूद्रम चमकम् भजन यह बताता है कि भगवान केवल मूर्ति, मंदिर में नहीं बल्कि वह हर जगह हर कण में मौजूद है।
रूद्रम चमकम् का मंत्र
ॐ श्री रुद्राये नमः
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