Shradh Dates 2018, Shradh Puja Muhurat and Pujan Vidhi | Shivology


What is the Shradh ceremony?

श्राद्ध क्या हैं?

Shradh or pitra paksha

1 min read



पितृ पक्ष को ही श्राद्ध कहते है। पितृपक्ष भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आरंभ होते है। हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य के कन्या राशि में आने से पितृ परलोक से उतर कर कुछ समय के लिए पृथ्वी पर अपने पुत्र-पौत्रों को देखने आते हैं। पितृपक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उनके नाम से तर्पण किया जाता है। अगर आपके पितर आपसे खुश हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकती है और अगर वो आपसे नाराज़ हो गए, तो पूरे परिवार का सर्वनाश हो जाता है।

 

श्राद्ध पक्ष का महत्व

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से मनुष्य को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि में बरकत होती है।

श्राद्ध के समय मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

पितृपक्ष में पशु-पक्षि को पानी और दाना डालना शुभ माना जाता है।

श्राद्ध में ब्राह्माणों को भोजन करवाना बहुत शुभ होता है।

श्राद्ध के समय पितृओं के लिए रोज पहली रोटी निकालना अनिर्वाय होता है।

देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना बहुत ही कल्याणकारी होता है।

 

दिंनाक/मुहूर्त

इस साल श्राद्ध 24 सितंबर 2018 से लेकर 08 अक्टूबर 2018 तक है।

पितृपक्ष के अंतिम दिन श्राद्ध की पूजा करने के लिए निम्न मुहूर्त है:-

पहला कुतुप मुहूर्त 12:51 से लेकर 01:37 तक है।

दूसरा रोहिण मुहूर्त 01:37 से लेकर 02:23 तक है।

तीसरा अपराह्न मुहूर्त 02:23 से लेकर 04:41 तक है।

 

श्राद्ध की कथा

महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा  स्वर्ग में पहुंची। तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिया गया। परन्तु कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया और वह आहार तलाशते रहे। लेकिन उन्हें आहार नहीं मिला, बल्कि ओर सोना मिलता रहा।

इस बात से कर्ण बहुत परेशान हो गए और उन्होंने इंद्र देवता से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया जा रहा है ? तब इंद्र देवता ने कर्ण को बताया कि तुमने अपने पूरे जीवन में जीवित रहते हुए सोना ही दान किया। लेकिन श्राद्ध के दौरान अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया। तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर पाऐ। इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा दिया।  जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध किया और उन्हें आहार दान करते हुए तर्पण किया।  इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृपक्ष या श्राद्ध कहा जाता है।

Disclaimer: We are not associated with any temple/religious institution across India and Foreign Countries. If you book any kind of Puja service, then we will perform the puja on your behalf as per your request and the puja will be performed here at our place.


Trending Articles



Get Detailed Consultation with Acharya Gagan
Discuss regarding all your concerns with Acharyaji over the call and get complete solution for your problem.


100% Secured Payment Methods

Shivology

Associated with Major Courier Partners

Shivology

We provide Spiritual Services Worldwide

Spiritual Services in USA, Canada, UK, Germany, Australia, France & many more