वरलक्ष्मी व्रत
हिंदू धर्म में वरलक्ष्मी व्रत को महत्वपूर्ण व्रत माना गया है और देवी वरलक्ष्मी माँ लक्ष्मी का ही एक स्वरूप है। देवी वरलक्ष्मी का अवतार दूधिया महासागर से हुआ है, जो क्षीर सागर नाम से भी जाना जाता है। वर लक्ष्मी दूधिया महासागर के रंग के रूप में वर्णित की जाती है और वह रंगीन कपड़े में सजी होती हैं। ऐसी मान्यता है देवी वरलक्ष्मी का रूप वरदान देने के लिए होता है और वो अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। इसलिए देवी के इस रूप को “वर" और “लक्ष्मी” के रूप में जाना जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत दिंनाक और मुहूर्त
इस साल यह व्रत 24 अगस्त 2018 को मनाया जाएगा।
सिंह लग्न में पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:00 बजे से लेकर 08:49 बजे तक है।
वृश्चिक लग्न में पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:34 बजे से लेकर 03:54 बजे तक है।
कुंभ लग्न में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07:36 बजे से लेकर 08:59 बजे तक है।
वृषभ लग्न में पूजा का शुभ मुहूर्त अर्धरात्रि 11:50 बजे से लेकर 12:44 बजे तक है।
पूजा विधि
- व्रती को वरलक्ष्मी व्रत में प्रात:काल उठकर घर की साफ-सफाई करके स्नान आदि कार्य कर लेने चाहिए।
- इसके बाद पूजास्थल को गंगाजल से पवित्र करके व्रत का संकल्प करें।
- माँ लक्ष्मी की मूर्ति को नए कपड़ों, ज़ेवर और कुमकुम से सजाएं। फिर इसके बाद एक चौकी पर गणेश जी के साथ देवी लक्ष्मी की मूर्ति को पूजा स्थान में पूर्व दिशा में रखें।
- इसके बाद पूजा के स्थान पर थोड़े चावल फैलाएं। एक कलश ले और उसके चारों तरफ चन्दन लगाएं।
- उस कलश में पानी भर लें और उस कलश के ऊपर एक छोटी प्लेट रखे ओर उस पर थोड़े चावल रखें।
- फिर उस कलश में पान के पत्ते, खजूर और चांदी का सिक्का डालें।
- इसके बाद एक नारियल ले ओर उस नारियल पर चंदन, हल्दी और कुमकुम लगाकर उसे कलश पर रखें।
- देवी लक्ष्मी के सामने दीया जलाएं और वरलक्ष्मी व्रत की कथा पढें।
- पूजा समापन करने के बाद महिलाओं को प्रसाद बाटें और स्वयं ग्रहण करे।