तुलसी विवाह
हिंदू पुराण में तुलसी जी को विष्णु प्रिय कहा जाता है। भगवान विष्णु जी की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग करना अनिवार्य होता है। बिना तुलसी दल के विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। हिंदू धर्म में दोनों को पति-पत्नी के रूप में देखा जाता है। तुलसी विवाह का पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है और इस दिन को देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु रूपी शालिग्राम का विवाह तुलसी जी के साथ होता है, साथ ही इस दिन भगवान विष्णु चार महीने तक सोने के बाद जागते है। इस दिन तुलसी पूजा और तुलसी विवाह करने का बडा ही महत्व होता है। तुलसी विवाह का त्यौहार लोग बहुत ही धूमधाम और श्रद्धाभाव के साथ मनाते है।
तुलसी विवाह का दिन
इस साल तुलसी विवाह का पर्व 19 नवंबर 2018 को मनाया जाएगा।
पूजा विधि
- सबसे पहले जिस जगह पर आप तुलसी जी को स्थापित करना चाहते है, उस स्थान को साफ करना चाहिए।
- इसके बाद उस स्थान पर रंगोली बनाएं और वहाँ पर एक चौकी रखे।
- उस चौकी पर एक साफ कपडा बिछाएं, इसके बाद उस चौकी पर गन्ने का मंडप बनाएं।
- मंडप बनाने के बाद तुलसी का पौधा और शालिग्राम को उस मंडप में स्थापित करें।
- शालिग्राम को पीले रंग के वस्त्र चढाएं, क्योंकि भगवान विष्णु को पीले वस्त्र बहुत प्रिय है।
- इसके बाद तुलसी जी को लाल रंग की चुनरी, सुहाग और श्रृंगार की सारी साम्रगी अर्पित करें।
- तुलसी जी और भगवान शालिग्राम को दूध से भीगी हल्दी लगाएं।
- गन्ने से बने मंडप पर भी हल्दी और कुमकुम लगाकर पूजा करें।
- सर्वप्रथम विवाह करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करे और उसके बाद विवाह संपन्न किया जाता है।
- इसके बाद तांबे के पात्र में प्रसाद रखकर भगवान को अर्पित करें।
- भगवान को प्रसाद का भोग लगाने के बाद घी और कपूर का दीपक जलाकर आरती करें।