उत्तरकाल अमृत के अनुसार शनि की काल पुरुष की कुंडली में दशम और एकादश भाव का स्वामी होने के कारण अपनी शुभ दशा में जातक को धन वैभव, सुख समृद्धि, मान सम्मान और पदोन्नति दिलवाता है | शनि की दशा में जातक लोगो की मदद करता है और उसे सामाजिक मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है | जातक अत्याधिक कर्मठ हो जाता है| उसे अपने अधीनस्थ लोगो का सम्पूर्ण समर्थन प्राप्त होता है | कार्यक्षेत्र में उसे उच्च अधिकार प्राप्त होते है |
शनि की अशुभ दशा में जातक को धन हानि, बीमारियां, मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है | वह आलसी हो जाता है | उसे अपने मित्र और सम्बन्धियों का सहयोग प्राप्त नहीं होता | जातक को निराशाएं घेरे रहती है |
भाव प्रकाश के अनुसार शनि की अशुभ दशा कार्यो में रुकावटे, पीड़ा, शत्रु भय, सम्बन्धियों से वाद विवाद, शोक तथा धन सम्पति की हानि प्रदान करती है |