उत्तराकालामृत के अनुसार:
जोवोत्कृष्टदशा करोति विपुलग्रामधिकारात्मज-
श्री सौभाग्यगुणाकराश्रितजनाश्वाः दोलिकावैभवान् ।।
जैव्या पापदशा महीसुरभयाधिव्याधिधैर्यच्युता
धान्यानर्थमहीसुरार्तिजनक क्रोधाशनार्तिक्षयान् ।
गुरु की शुभ दशा में जातक को पद प्राप्ति होती है | उसे सत्तासुख प्राप्त होता है | उसके धन वैभव में वृद्धि होती है | मित्र सम्बन्धी, व संतान सम्बन्धी सुख पाता है | वह सर्वगुण सम्बन्धी, प्रतापी व बड़ा अधिकारी होता है | वह विविध प्रकार की सुख सुविधाएं पाता है | जातक की सभी इच्छाएँ पूरी होती है |
अशुभ गुरु की दशा में जातक को सरकार सम्बन्धी परेशानियां रहती है | उसे चिंताए लगी रहती है | धन की कमी बनी रहती है | मोटापे से परेशान रहता है |
भाव प्रकाश के अनुसार शुभ गुरु की दशा में धन, सम्पति, वैभव तथा सत्ता लाभ प्राप्त होता है | जातक के शत्रु नष्ट हो जाते है | उस को पति /पत्नी और संतान का श्रेष्ठ सुख प्राप्त होता है|
बृहत्पराशर होरा शास्त्र के अनुसार शुभ गुरु जातक को वैभव, मान प्रतिष्ठा, उच्च अधिकार व सुख देता है | जातक धार्मिक प्रवृति का होता है | उसे पारिवारिक सुख प्राप्त होता है |