विशाखा नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, विशाखा नक्षत्र का स्वामी ग्रह गुरु और नक्षत्र देवता इन्द्र और अग्नि है। आकाश मंडल में विशाखा नक्षत्र का 16वां स्थान है। विशाखा का अर्थ होता है “विभाजित शाखा”। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति की यह विशेषता होती है, कि यह पढ़ने-लिखने में बहुत बुद्धिमान होते हैं तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं। इसका कारण यह भी है कि शारीरिक परिश्रम करने में यह पीछे रह जाते हैं, इसलिए बुद्धि और ज्ञान ही इन्हें जीवन मे सफल बनाती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार इन्द्र को एक लक्ष्य केंद्रित देवता माना जाता है, जो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उचित तथा अनुचित का विचार किए बिना किसी भी प्रकार के कार्य को कर देते हैं और अपनी इसी विशेषता के चलते इन्द्र कई बार ऐसे कार्य भी कर देते हैं, जिन्हें वैदिक ज्योतिष की दृष्टि से अनुचित माना जाता है।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्तियों को व्यापार की बजाय नौकरी करना ज्यादा पसंद होता है। सरकारी नौकरी में इनकी विशेष रूचि होती है। इनकी वाणी तथा व्यवहार में नम्रता और मधुरता होती है, इसलिए इनका सामाजिक दायरा काफी बड़ा होता है। इनकी महत्वाकांक्षा काफी ऊँची होती है और अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं। परिश्रम के अनुसार भाग्य भी सदैव इनका साथ देता है।
विशाखा नक्षत्र में जन्में व्यक्ति को क्रोध जल्दी आ जाता है। इस नक्षत्र के लोगों से विपरीत बात सहन नहीं होती है और बिना सोचे-समझे या परिणाम की चिंता किये बिना ये सामने वाले से भिड़ जाते हैं। लेकिन मन ही मन घबराते भी हैं, परन्तु अपनी घबराहट बाहर प्रकट नहीं होने देते हैं। क्रोधित होने पर अपशब्द कहना और बाद में पछताना इनके व्यवहार में होता है।
इस नक्षत्र में जन्में जातक धनवान और शक्तिशाली होते हैं। यह भाषण देने में भी कुशल होते हंै और सदैव दूसरों को हितकारी सलाह देते हैं। विशाखा नक्षत्र में जन्में व्यक्ति का व्यक्तित्व दूसरों को प्रभावित करने वाला होता है इनसे लोग जल्द ही आकर्षित होते हैं और यह मन से दयावान तथा विशाल हृदय वाले होते हैं।