उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि और नक्षत्र देवता अहिर्बुध्न्य है। आकाश मंडल में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का 26वां स्थान है। उत्तरभाद्रपद का शाब्दिक अर्थ है उत्तर अर्थात् बाद में आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अहिर्बुध्न्य नाग का एक देवता हैं, जो पृथ्वी के तल में रहते हैं। जबकि कुछ वैदिक ज्योतिष का मानना है, कि अहिर्बुध्न्य का वास समुद्र तल में है। अहिर्बुध्न्य को पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजा एकपद की तुलना में अधिक बुद्धिमान और करुणामय देवता माना जाता है। इन्हीं विभिन्नताओं के कारण इनके प्रभाव के अंतर्गत आने वाले नक्षत्र पूर्वभाद्रपद तथा उत्तरभाद्रपद आपस में कुछ समानता होने पर भी एक दूसरे से बहुत भिन्न नक्षत्र पाए गए हैं।
उत्तराभाद्रपद के अधिपति देव अहिर्बुध्न्य हैं, इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति दयालु और धार्मिक प्रवृति के होते हैं और साथ ही मानवतावादी कार्यों की ओर आकर्षित होते हैं। उन्हें चिंतन करने के लिए एकांत तथा समय की आवश्यकता होती है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र ज्ञान और दृढ़ संकल्प से परिपूर्ण है, फिर भी इन्हे सर्वोच्च उपलब्धि पाने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्तियों को दर्शन शास्त्र तथा रहस्यमयी विद्याओं में रुचि हो सकती है। अपने विशेष गुणों के कारण इनकी पहचान विद्वान व्यक्तियों में की जाती है। इन व्यक्तियों को एकान्त में रहना अधिक पसंद होता है। इसी वजह से इनके दोस्तों की संख्या कम होती है। इस नक्षत्र के व्यक्ति को अपने इस स्वभाव के कारण दूसरों से मिलने-जुलने में असुविधा होती है। अपनी सूझबूझ से धन को इकट्ठा करने में सफल होते है।
इस नक्षत्र के व्यक्ति उदार और परोपकारी होते हैं। परंतु क्रोध इन्हें जल्दी आता है, जो इनके व्यक्तित्व की एक बड़ी कमी है। ज्योतिष शास्त्र में इस नक्षत्र को मोक्ष की ओर ले जाना वाला नक्षत्र भी कहा जाता है। इसका कारण यह है, कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों में स्वाभाविक रूप से मोक्ष प्राप्ति की चाहत होती है। उत्तराभाद्रपद में जन्मी महिलाएं बुद्धिमान और धर्म के प्रति रूचि रखने वाली होती हैं और साथ ही धैर्यवान एवं गुणवान होती हैं। ये जीवन में सदा मान-सम्मान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करती हैं।