श्रवण नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, श्रवण नक्षत्र का स्वामी ग्रह चंद्र और नक्षत्र देवता विष्णु है। आकाश मंडल में श्रवण ऩक्षत्र का स्थान 22वां है। 'श्रवण' का अर्थ होता है 'सुनना'। श्रवण उन तीन नक्षत्रों में से एक है, जो सीधे त्रिदेवों में से किसी एक के आधिपत्य में आते हैं, जिसके कारण इस नक्षत्र का अपना एक विशेष स्थान है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पांव के तीन पदचिन्हों को श्रवण नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना गया है और अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं, कि ये तीन पदचिन्ह कोई साधारण पदचिन्ह ना होकर भगवान श्री विष्णु द्वारा वामन अवतार के रूप में लिए गए तीन पदचिन्ह हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कान को भी श्रवण नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है, जिसके चलते कान के माध्यम से प्रदर्शित होने वाली विशेषताएं भी इस नक्षत्र में देखने को मिलती हैं। इस नक्षत्र का नाम माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार के नाम पर रखा गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति पर श्रवण कुमार का प्रभाव देखने को मिलता है अर्थात् व्यक्ति अपने माता-पिता का आज्ञाकारी होता है।
इस नक्षत्र के व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है और साथ ही ये पढ़ने-लिखने में होशियार होते हैं। जैसे प्राचीन संस्कृति में मौखिक परंपराओं के माध्यम से ज्ञान दिया जाता था, वैसे ही श्रवण नक्षत्र में पैदा हुए लोगों में सुनकर ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता होती है। इनका दांपत्य जीवन सुखद होता है और जीवनसाथी के साथ इनका तालमेल अच्छा होता है।
श्रवण नक्षत्र में जन्में व्यक्ति लगातार ज्ञान की ख़ोज में रहते हैं और अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए विदेश यात्रा करते हैं। ऐसे लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योजना बनाकर काम करना पसंद करते हैं। श्रवण नक्षत्र में जन्मी महिलाएं विनम्र एवं सदाचारी होती हैं। अपने इन्हीं गुणों के कारण परिवार और समाज में आदर प्राप्त करती हैं।