शतभिषा नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शतभिषा नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु और नक्षत्र देवता वरूण है। आकाश मंडल में शतभिषा नक्षत्र का 24वां स्थान है। शतभिषा का अर्थ “सौ चिकित्सक” है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु शतभिषा नक्षत्र का शासक ग्रह है, क्योंकि राहु भी मिथ्या, रहस्यों, गुप्त ज्ञान एवं जादुई घटनाओं का ग्रह माना जाता है, इसलिए राहु का प्रभाव भी इस नक्षत्र के रहस्यमयी पक्ष को बढ़ावा देता है।
शतभिषा नक्षत्र एक गुप्त प्रवृति वाला नक्षत्र है, जिसका ध्यान जीवन की गुप्त शक्तियों पर रहता है। यह गुण इस नक्षत्र में जन्में जातकों को वैराग्यपूर्ण जीवन जीने की ओर बढावा देता है, इसलिए ऐसे लोगों को उदासी और अकेलेपन के प्रति सतर्क रहना चाहिए। इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति बहुत साहसी और मजबूत विचारों वाले होते है। अत्यधिक सामर्थ्य तथा स्थिर बुद्धि के होते हुए भी कभी-कभी जिद्दी और संवेदनहीन प्रतीत होते हैं। सभी प्रकार का ज्ञान होते हुए भी यह आत्म केन्द्रित होते हैं। शतभिषा नक्षत्र के व्यक्ति रहस्यमय तथा समृद्धशाली होते हैं, जिनको अपने आसपास के लोगों से सम्मान मिलता है।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति गंभीर स्वभाव के होते है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है, कि ऐसे व्यक्ति परंपराओं तथा पारिवारिक रिश्तों को निभाते हैं। इस नक्षत्र में जिन महिलाओं का जन्म होता है, वह खूबसूरत और आकर्षक होती हैं। पति के प्रति इनका विशेष स्नेह होता है। शतभिषा नक्षत्र में जन्में व्यक्ति सत्य और धर्म के प्रति निष्ठावान होते हैं। दर्शन, चिकित्सा, मनोविज्ञान तथा ज्योतिष विषयों में इनकी विशेष रूचि होती है। इन क्षेत्रों में कैरियर बनाने में इन्हें सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति गुप्तचर विभाग में भी कामयाब होते हैं।
शतभिषा नक्षत्र के जातक अपने कार्यक्षेत्र में पूरी लग्न और मेहनत के साथ काम करते हैं, साथ ही निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते रहते हैं। अच्छी शिक्षा के कारण यह जीवन में बहुत पहले ही अपने करियर की शुरूआत कर देते हैं। इनके इरादे काफ़ी मज़बूत एवं बुलंद होते हैं और एक बार जो यह तय कर लेते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। इन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का भी एहसास होता है, इसलिए यह अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।