रोहिणी नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चंद्र ग्रह है और देवता ब्रह्माजी है। रोहिणी नक्षत्र आकाश मंडल में चौथा नक्षत्र है। ज्योतिषियों के अनुसार, यह पाँच तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है। ‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, रोहिणी चंद्र की 27 पत्नियों में से सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। जैसे-जैसे चंद्र रोहिणी के पास जाते है, वैसे-वैसे उनका रूप ओर अधिक खिल उठता है। रोहिणी नक्षत्र वाले जातक सुंदर, शुभ्र, पति प्रेम, संपादन करने वाले, तेजस्वी, संवेदनशील, संवेदनाओं, सम्मोहक और सदा ही प्रगतिशील होते हैं।
रोहिणी नक्षत्र में जन्में जातक सुंदर तथा मीठा बोलने वाले होते हैं। ये लोग घर और कार्य क्षेत्र में व्यवस्थित रहना ही पसंद करते हैं। इन्हें गन्दगी बिलकुल पंसद नहीं है। रोहिणी नक्षत्र वाले लोग स्वभाव से कोमल और सौन्दर्य के प्रति लगाव इनके प्रमुख गुणों में से एक है। इस नक्षत्र के लोग संगीत, नृत्य तथा चित्रकला में रूचि रखते हैं।
इस नक्षत्र के व्यक्ति सदा दूसरों में गलतियां ढूँढते रहते है। ये लोग शारीरिक रूप से कमज़ोर होते हैं, इसलिए कोई भी मौसमी बदलाव इन्हें रोग दे जाता हैं। ये लोग दिमाग की अपेक्षा दिल की सुना ज्यादा पंसद करते है। माँ से इन्हें विशेष स्नेह तथा सहयोग मिलता है, इसलिए माँ से इनका विशेष लगाव होता है। यह जिन क्षेत्रों से जुड़े होते हैं उनमें यश और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को गले में तकलीफ, पांव और छाती में दर्द की शिकायत हो सकती है। महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति कला जगत, लेखन, खनिज तथा भूमि, कृषि उत्पाद और भवन की खरीद-बिक्री के कार्य से जुड़े होते हैं।