रेवती नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, रेवती नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध और नक्षत्र देवता पूषन है। आकाश मंडल में रेवती नक्षत्र का 27वां स्थान है। ‘रेवती’ का शाब्दिक अर्थ है ‘धनवान’। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पानी में तैरती हुई एक मछली को रेवती नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना गया है। इस नक्षत्र के अधिपति देव पूषा हैं, जो पोषण प्रदान करके किसी भी व्यक्ति के जीवन को उज्जवल बनाने की क्षमता रखते हैं। यह नक्षत्र सुरक्षित और सार्थक यात्राओं से भी संबंधित है। बुध ग्रह वाक कौशल, बुद्धिमानी, विश्लेषणात्मक प्रकृति तथा व्यापार कौशल का प्रतीक है और बुध ग्रह की सभी विशेषताएं रेवती नक्षत्र में भी पाई जाती हैं।
रेवती नक्षत्र में जन्में व्यक्ति मध्यम कद और गौर वर्ण के होते हैं। इस नक्षत्र के जातक एक निश्चल प्रकृति के होते हैं, जो किसी भी व्यक्ति के साथ छल कपट नहीं कर सकते है। इस नक्षत्र के व्यक्ति को क्रोध जल्दी आ जाता है। इनको किसी की कोई भी विपरीत बात सहन नहीं होती है। क्रोध में अपना नियंत्रण खो देते हैं, लेकिन क्रोध जितनी जल्दी आता है, उतनी जल्दी शांत भी हो जाता है। ये लोग आध्यात्मिक होते हुए भी इनका दृष्टिकोण व्यवहारिक है। इस नक्षत्र के लोग किसी भी बात को मानने से पहले भली भांति जाँच लेते हैं। यही दृष्टिकोण अपने मित्रों और संबंधियों के साथ भी होता है। रेवती नक्षत्र के व्यक्ति आँख बंद करके किसी पर भी भरोसा नहीं करते हैं। यह बुद्धिमान परन्तु मनमौजी व्यक्ति हैं, जो स्वतंत्र विचारधारा में विश्वास रखते है।
वैदिक ज्योतिष का मानना है, कि रेवती नक्षत्र के व्यक्तियों का माया के साथ गहरा संबंध होता है। अपने निचले स्तर पर यह माया जातक को भटका कर व्यावहारिकता से दूर कर देती है तथा ऐसा व्यक्ति कल्पना की दुनिया में ही खोया रहता है, जबकि यही माया अपने ऊपरी स्तर पर जातक को दिव्य ज्ञान भी प्रदान करती है। जिससे व्यक्ति को संसार के सभी रहस्यों के बारे में पता चल सकता है और इसी माया के प्रभाव के चलते जातक को मुक्ति तथा मोक्ष का मार्ग भी मिलता है।