पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी ग्रह गुरु और नक्षत्र देवता अजिकपद है। आकाश मंडल में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का 25वां स्थान है। पूर्वाभाद्रपद का शाब्दिक अर्थ है ‘पहले आने वाला भाग्यशाली पैरों वाला व्यक्ति’। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, एक व्यक्ति के दो चेहरे वाले को भी पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह मानते हैं, जिसका एक चेहरा बहुत नम्र, सभ्य तथा संस्कारी है और दूसरा चेहरा बहुत हिंसक तथा विनाशकारी है। इसलिए इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक के व्यक्तित्व के भी दो पहलू होते हैं, जिसका एक पहलू बहुत सौम्य तथा सभ्य है और वही दूसरा पहलू अत्याधिक विनाशकारी तथा हिंसक है।
इस नक्षत्र के जातक शांतिप्रिय एवं बुद्धिमान हैं और यह सादा जीवन जीना पसंद करते हैं। ईश्वर पर इनकी पूर्ण आस्था है और धार्मिक क्षेत्रों में भी इनकी काफी रुचि होती है। सबकी सहायता के लिए यह सदैव तैयार रहते है, क्योंकि इनका दिल साफ़ है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक विपरीत परिस्थितियों से घबराते नहीं है, बल्कि साहस और आत्मविश्वास से परिस्थितियों का सामना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिनका जन्म इस नक्षत्र के दूसरे चरण मंप होता है, वह विद्वान होते हैं और धार्मिक होते हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के बारे में माना जाता है कि यह धन से अधिक ज्ञान को महत्व देते हैं। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के विषय में ऐसा कहा जाता है, कि इस नक्षत्र के व्यक्ति नौकरी करें या व्यवसाय करें, दोनों में ही भाग्य इनका पूरा साथ देता है। यह लोग अपने कर्तव्य का निर्वाह पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते है, आत्मबल तथा साहस से मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकल आते हैं।
इस नक्षत्र के जातक कभी भी किसी व्यक्ति का अहित करने की कोशिश नहीं करते हैं। इनके व्यक्तित्व की इस विशेषता के कारण इन पर भरोसा कर सकते है। शिक्षा तथा बुद्धि की दृष्टि से देखा जाए, तो इस नक्षत्र के व्यक्ति काफी बुद्धिमान होते हैं। इनकी रूचि साहित्य में होती है और साहित्य के अलावा ये विज्ञान, खगोलशास्त्र तथा ज्योतिष में भी अधिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।