मघा नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मघा नक्षत्र का स्वामी केतु ग्रह और नक्षत्र देवता पितृ है। आकाश मंडल में मघा नक्षत्र का 10वां स्थान है। मघा का अर्थ ‘भव्य’ और शाही सिंहासन इसका प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्र में केतु को भले ही अशुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति बड़ा ही भाग्यशाली होता है। ये काफी चतुर तथा कूटनीति में माहिर होते हैं।
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों पर सूर्य का प्रभाव रहता है और ये व्यक्ति बहुत ही महत्वाकांक्षी होते हैं। यह जहाँ भी रहते हैं अपना दबदबा बनाकर रखते हैं। इनके लिए स्वभिमान सबसे बड़ा धन होता है और इसके साथ कभी समझौता नहीं करते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के भीतर समाज में उच्चवर्ग के लोगों से संपर्क बनाने की चाहत होती है। आर्थिक मामलों में यह काफी समझदारी से काम लेते हैं।
ज्योतिषियों का यह मानना हैं कि मघा नक्षत्र भूतकाल से जुड़ा हुआ एक नक्षत्र है और ये हमारे पिछले जन्मों के अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार ही जीवन में फल प्रदान करता है। मघा नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति परम तेजस्वी होता है और साथ ही यह स्वभाव से बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। देवताओं और पितरों को पूजे बिना कोई कार्य शुरू नहीं करते हैं। विभिन्न कलाओं में भी इनकी रुचि होती है। अपने शांत स्वभाव, शांतिप्रिय जीवन की कामना और समझदारी के कारण समाज में सम्मानित होते हैं।
इस नक्षत्र के व्यक्ति को जहाँ भी धन का लाभ दिखता है, वहाँ मौके का फायदा उठाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं और अधिकारियों के साथ इनका अच्छा तालमेल होता है। मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाली महिलाएं साहसी और स्पष्टवादी होती हैं। इनकी महत्वाकांक्षा बहुत ऊँची होती है।