कृत्तिका नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी ग्रह सूर्य और देवता अग्नि है। कृत्तिका नक्षत्र एक तारापुंज है, जो आकाश में वृषभ राशि के समीप दिखाई पड़ता है। कृत्तिका नक्षत्र आकाश मंडल में तीसरा नक्षत्र है। यह आकाश में अग्निशिखा की तरह दिखाई देता है। हर व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है, व्यक्ति के स्वभाव पर उसके जन्म नक्षत्रों का भी विशेष प्रभाव होता है। कृत्तिका नक्षत्र में जन्में व्यक्ति सुन्दर और मनमोहक छवि वाले होते है। वह केवल सुन्दर ही नहीं अपितु गुणी भी होते हैं और साथ ही ये लोग आत्मगौरव से परिपूर्ण और स्वाभिमानी होते हैं।
इस नक्षत्र के लोग किसी राजा के समान ओजपूर्ण तथा पराक्रमी होते है और ये तेजस्वी तथा तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी होते हैं। बचपन से ही इनकी विद्या में अधिक रूचि होती है और आगे चलकर कृत्तिका नक्षत्र का जातक विद्वान् बनता है। यह सूर्य का विशेष गुण है, लेकिन शुक्र और सूर्य में शत्रुता भी है, तो सुन्दर और तेजस्वी होने पर भी विचार अस्थिर रहते है।
इस नक्षत्र में सूर्य, चन्द्र के मेल के कारण शरीर पर तेज़ की अनुभूति होगी। चन्द्रमा से प्रभावित होने के वजह से आप में प्रभुत्व आएगा। आप की सोच और कार्य उच्च स्तरीय होंगा। आपके व्यक्तित्व में राजकीय गुण स्वाभाविक हैं। चन्द्रमा के प्रभाव के कारण ही आपके पास धन भी आएगा।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को पित्त की शिकायत हो सकती हैं और अधिक तला तथा गरिष्ठ भोजन इनके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है इसलिए यह कम भोजन करते हैं। इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव हैं जो अग्नि तत्व के कारक माने जाते है। इसलिए इनमें अग्नि के समान उग्रता पायी जाती है।
यह स्वाभिमानी और कार्य के प्रति अनुशासन का पालन करने वाले होते हैं। इन्हें घूमना काफी पसंद होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति आभूषण, सेना, पुलिस, साहित्य, कला, कॉस्मैटिक्स, ब्यूटी पार्लर, धार्मिक तथा अग्नि से संबंधित क्षेत्रों में इन्हें शीघ्र सफलता मिलती है।