हस्त नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हस्त नक्षत्र का स्वामी चन्द्र ग्रह और नक्षत्र देवता सूर्य है। आकाश मंडल में हस्त नक्षत्र का 13वां स्थान है। हस्त शब्द का अर्थ “हाथ” से है, जिसे हाथ बांटना, हाथ बढा़ना या हाथ थामना जैसे अनेक अर्थों से जोड़ कर भी देखा जाता हैं। हस्त नक्षत्र के पाँच तारों से बनी हथेली के समान आकृति को दर्शाता है। इस नक्षत्र से बनने वाली आकृति के नाम पर ही इसे हस्त कहा जाता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के स्वभाव में चन्द्रमा के गुण होते है। इस नक्षत्र में पैदा होने वाले लोग मेहनती, बुद्धिमान और तर्कशील होते हैं। यह नक्षत्र समझौते और अभिवादन का भी प्रतीक है, क्योंकि इन्हें हाथ मिलाकर प्रदर्शित किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस नक्षत्र पर चन्द्रमा का प्रभाव होता है और चन्द्रमा के चरित्र की कुछ विशेषताएं जैसे कि संवेदनशीलता, भावुकता, पारिवारिक मूल्यों में विश्वास रखना तथा संरक्षण आदि विशेषताएं इस नक्षत्र के माध्यम से प्रदर्शित होती हैं।
चन्द्र के स्वामित्व में आने के वजह से व्यक्ति में आकर्षण का भाव मुख्यत: होता है, जिसके कारण व्यक्ति में चंचलता अधिक होती है। दूसरों का मनोरंजन करने की योग्यता भी रखते है। जातक के स्वभाव में विनोद अर्थात् हंसी-मजाक का भाव भी देखा जा सकता है। मनुष्य बोलचाल में दूसरों को शीघ्र प्रसन्न करने की योग्यता रखते है तथा बौद्धिक कार्यो में आगे बढ़कर रुचि लेते है।
चंद्रमा मन का कारक है। इस नक्षत्र में जन्में जातक शर्मीले स्वभाव के होने के साथ-साथ पाला बदलने में भी माहिर होते है। हस्त नक्षत्र के जातकों की बौधिक तथा गणनात्मक क्षमता अच्छी होती है, जिसके चलते ऐसे व्यक्ति प्रत्येक स्थिति के अनुसार शीघ्रता से गणना करके व्यवहार करने में कुशल होते हैं। हस्त नक्षत्र के लोग अपने संपर्क में आने वाले लोगों पर शीघ्रता से विश्वास नहीं करते और ये लोग किसी का विश्वास करने में बहुत समय लेते हैं।