चित्रा नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चित्रा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह और नक्षत्र देवता विश्वकर्मा है। आकाश मंडल में चित्रा नक्षत्र का 14वां स्थान है। चित्रा का शाब्दिक अर्थ है चित्र की भांति सुंदर। इस नक्षत्र के अधिदेवता वास्तुकार विश्वकर्मा हैं, जो अभाव में नई चीजों का निर्माण करने की क्षमता प्रदान करते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग रूप, सौंदर्य, कला और संरचना से प्रभावित होते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बड़े आकार के एक चमकीले रत्न को चित्रा नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है। मंगल साहस, ऊर्जा, महत्वाकांक्षा और उग्र स्वभाव का प्रतीक है। इसलिए इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति में ये सभी गुण होते है।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति बहुत साहसी और उर्जावान होते हैं। इन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, उसे बखूबी निभाने की कोशिश करते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक के विषय में ऐसा कहा जाता है कि यह अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अधिक प्रसिद्धि और धन प्राप्त करते हैं।
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति शारीरिक रूप से मनमोहक और सुन्दर आँखों वाले होते है। इस नक्षत्र के लोग परिश्रमी होते है और अपने इसी गुण के कारण जीवन में आने वाले कठिनाईयों को पार करते हुए उन्नति को प्राप्त करते है। कभी-कभी इन्हें अपने द्वारा की गई मेहनत से अधिक फल मिल जाता है।
इस नक्षत्र के लोग रचनात्मक होते हैं, क्योंकि चित्रा नक्षत्र अपने आप में रचनात्मकता का दूसरा रूप है। इस नक्षत्र के जातकों को प्रकृति की सुंदर से सुंदर कृतियों के रहस्य को समझने और जानने में बहुत रूचि होती है। अधिकतर ये लोग इन रहस्यों को समझने में सफल भी हो जाते हैं, क्योंकि चित्रा नक्षत्र के व्यक्तियों में कठिन से कठिन रहस्य को भी जान लेने की क्षमता अन्य नक्षत्रों के जातकों से बहुत अधिक होती है।