भरणी नक्षत्र
भरणी नक्षत्र आकाश मंडल में दूसरा नक्षत्र है। 'भरणी' का अर्थ 'धारक' होता है। दक्ष प्रजापति की एक पुत्री का नाम भरणी है जिसका विवाह चन्द्रमा से हुआ था। उसी के नाम पर इस नक्षत्र का नामकरण किया गया है। भरणी नक्षत्र में यम का व्रत और पूजन किया जाता है। भरणी नक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह है और नक्षत्र देवता यमराज है। युग्म वृक्ष को भरणी नक्षत्र का प्रतीक माना जाता है और भरणी नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति युग्म वृक्ष की पूजा करते है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, देवी महाकाली को भी भरणी नक्षत्र की देवी माना गया है, जिसके चलते इस नक्षत्र की कार्यशैली में देवी महाकाली के गुणों का प्रभाव देखने को मिलता है। जिस प्रकार देवी महाकाली शत्रु का सहज तरीके से संहार करने में सक्षम है। उसी प्रकार भरणी नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक भी कठिन से कठिन कार्यों को बिना विचलित हुए करने का प्रयास करते हैं।
जो व्यक्ति भरणी नक्षत्र में जन्म लेते हैं, वे सुख सुविधाओं को चाहने वाले होते हैं। इनका जीवन काफी आनन्द में बीतता है। इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति देखने में बहुत सुंदर और आकर्षक होते हैं। ये अपने अच्छे स्वभाव से सभी को अपना बना लेते हैं। इस नक्षत्र के व्यक्ति अच्छे प्रेमी साबित होते हैं, इनके जीवन में प्रेम का स्थान सर्वोपरि होता है और इन व्यक्तियों की रूचि कला क्षेत्र में अधिक होती है। ये संगीत, नृत्य, चित्रकला आदि में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और ये दृढ़ निश्चयी तथा साहसी होते हैं।
इस नक्षत्र के जातक जो भी दिल में ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। आमतौर पर ये विवादों से दूर रहते हैं, लेकिन यदि विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तो उसे प्रेम और शान्ति से सुलझाने का प्रयास करते हैं। इनका व्यक्तित्व दोस्ताना होता है और मित्रों के प्रति बहुत ही ईमानदार होते हैं। ये विषयों को तर्क के आधार पर तौलते हैं जिसके कारण ये एक अच्छे समालोचक होते हैं। इन्हें समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है।