अश्विनी नक्षत्र
वैदिक काल में राशि नहीं, बल्कि नक्षत्रों के अनुसार भविष्यवाणी की जाती थी। आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। ये समूह धरती से देखने पर कहीं अश्व, कहीं शकट, सर्प आदि के आकार के नज़र जाते हैं। लोक-व्यवहार में एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी मील, कोस या किलोमीटर में नापी जाती है, उसी प्रकार आकाश मंडल की दूरी नक्षत्रों से ज्ञात की जाती है।
अश्विनी नक्षत्र आकाश मंडल में प्रथम नक्षत्र है। वैदिक काल में दो अश्विनी कुमार थे जिनके नाम पर ही तारा समूह का नामकरण किया गया है। 'अश्विनी' का अर्थ 'अश्व जैसा' और धरती पर इस तारे का काफ़ी असर पड़ता है। आंवले के वृक्ष को इसका प्रतीक माना जाता है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी क्रेतु है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, अश्विनी कुमारों को अश्विनी नक्षत्र के देवता के रूप में माना जाता है। अश्विनी कुमारों सूर्य देव के पुत्र है और वैदिक ग्रंथों के अनुसार, अश्विनी कुमार चिकित्सा शास्त्र के पूर्ण ज्ञाता हैं जिसके चलते इन्होनें च्यवन ॠषि को वृद्धावस्था से मुक्त करके पुन: युवा बना दिया था। अश्विनी कुमार स्वभाव से उदार, दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहने वाले तथा स्थान-स्थान पर घूमते रहने वाले स्वभाव के हैं। जिसके चलते इस नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातकों में भी ये विशेषताएं पायी जाती हैं।
इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति के स्वभाव में उतावलापन होता है। ये किसी भी बात को लेकर बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हैं। इस नक्षत्र के जातक को दबाव या ताकत से वश में नहीं किया जा सकता। ऐसे जातक बाहर से सख्त रवैया अपनाते हैं, लेकिन यह भीतर से कोमल होते हैं। इन व्यक्तियों का बचपन काफी संघर्ष में गुजरता है।
इस नक्षत्र के लोग सभी के साथ बहुत प्रेमभाव से रहते हैं, लेकिन ये अपने ऊपर किसी का भी दबाव नहीं सहते हैं। इन्हें स्वतंत्र कार्य करने तथा निर्णय लेने की आदत होती है, इसलिए किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप इनको पसंद नहीं होता है।
ज्योतिष शास्त्र में अश्विनी नक्षत्र बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग ऊर्जावान, सक्रिय, महत्वाकांक्षी, प्रकृति प्रेमी, अच्छे जीवनसाथी और अच्छे मित्र होते हैं।