आर्द्रा नक्षत्र
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी राहु और नक्षत्र देवता शिवजी है। आकाश मंडल में आर्द्रा छठा नक्षत्र है। आर्द्रा का अर्थ होता है ‘नमी’। यह राहु का नक्षत्र है और मिथुन राशि में आता है। यह कई तारों का समूह ना होकर बल्कि एक तारा है। यह आकाश में मणि के समान दिखता है। इसका आकार हीरे तथा वज्र के रूप में भी समझा जाता है। कई विद्वान इसे चमकता हीरा तो कई इसे आंसू या पसीने की बूंद समझते हैं।
आर्द्रा नक्षत्र में जन्में लोग कर्तव्यनिष्ठ, कठोर परिश्रमी और सौंपे गए काम को पूरी ज़िम्मेदारी से करते हैं। ये जन्मजात प्रतिभाशाली होते हैं, क्योंकि राहु इस नक्षत्र का स्वामी और एक शोधकारक ग्रह है। इसमें विविध विषयों का ज्ञान पाने की एक भूख होती है। इस नक्षत्र के लोग हँसी-मज़ाक़ करने वाले होते हैं और सबके साथ बड़ी नम्रता से पेश आते हैं।
आर्द्रा नक्षत्र के प्रबल प्रभाव में आने वाले व्यक्ति जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं तथा इनमें विश्लेषण करने की क्षमता भी प्रबल होती है। कूटनीति तथा राजनीति के विषयों में इनकी बुद्धि खूब चलती है। राजनीति के क्षेत्र में इस नक्षत्र वाले व्यक्ति सफलता पाते हैं। इस नक्षत्र के लोगों का मस्तिष्क हमेशा क्रियाशील रहता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं।
इस नक्षत्र के जातक प्रत्येक मामले की जड़ तक जाते हैं तथा इन्हें प्रत्येक मामले के छोटे से छोटे पक्ष के बारे में भी जानकारी रखने की आदत होती है। ये लोग सफलता पाने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद की नीति भी खुल कर अपनाते हैं। विभिन्न तरह का ज्ञान पाने की इनमें रूचि होती है और समस्याओं का सामना धैर्यपूर्वक करते हैं। व्यवसाय तथा लेखन के क्षेत्र में भी इस नक्षत्र के लोग सफल होते हैं। सर्दी तथा खांसी संबंधी रोग इन्हें अधिक परेशान करता है।