हिंदू धर्म में कई तरह के व्रतों का वर्णन मिलता है और हर व्रत का अपना ही महत्व होता है। हिंदू धर्म में किये जाने वाले हर व्रत की अपनी कहानी और अपना सार है, इन्ही में से एक अत्यंत चमत्कारिक व्रत हैं प्रदोष व्रत। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित व्रतों में से एक है। प्रदोष व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत को करने से हर मनोकामना पूर्ण होती हैं।
कब मनाया जाता है प्रदोष व्रत?
हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार चंद्र मास के 13वें दिन यानि त्रयोदशी पर प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत महीने में दो बार आता है, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में आता है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कितने तरह के होते है प्रदोष व्रत?
- सोमवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम कहते है।
- मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम कहते है।
- शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहते है।
क्या है प्रदोष व्रत ?
प्रदोष काल में प्रदोष व्रत किया जाता है, अर्थात् सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि का सबसे पहला पहर, जो सांयकाल के नाम से जाने जाता है, उस सांयकाल को ही प्रदोष काल कहते हैं। स्त्रियों द्वारा ये व्रत करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
2018 में कब है प्रदोष व्रत
09-अगस्त गुरूवार प्रदोष व्रत
23-अगस्त शनिवार प्रदोष व्रत
07-सितम्बर शुक्रवार प्रदोष व्रत
22-सितम्बर शनिवार शनि प्रदोष व्रत
06-अक्टूबर सोमवार प्रदोष व्रत
22-अक्टूबर सोमवार सोम प्रदोष व्रत
05-नवंबर सोमवार सोम प्रदोष व्रत
20-नवंबर मंगलवार प्रदोष व्रत
04-दिसंबर मंगलवार प्रदोष व्रत
20-दिसंबर गुरूवार प्रदोष व्रत