आप लोगों ने राहुकाल के बारे में अवश्य सुना होगा। लेकिन राहुकाल क्या है, कब आता है और इसमें शुभ कार्य करना क्यों वर्जित माना गया है। इसके बारे में कम ही लोग जानते है। राहुकाल एक ऐसा समय है जब राहु अपने पूर्ण प्रभाव में होता है और उस दौरान यदि कोई शुभ कार्य किया जाए, तो उसमें सफलता प्राप्त नहीं होती है, इसलिए पंडित तथा ज्योतिषी उस समय शुभ कार्य को टालने की सलाह देते हैं।
राहुकाल क्या है ?
राहुकाल को शास्त्रों में एक पाप ग्रह के रूप में देखा जाता है। हिंदू धर्म में राहु को शुभ कार्यों में बाधा डालने वाला ग्रह कहा गया है इसलिए राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य या किसी प्रकार की यात्रा नहीं करनी चाहिए। ग्रहों के गोचर में सभी ग्रहों का हर दिन एक निश्चित समय सुनिश्चित होता है इसलिए हर दिन एक समय राहु के लिए भी होता है, जिसे राहुकाल कहते हैं। अलग-अलग स्थानों पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के अनुसार राहुकाल की अवधि भी अलग-अलग होती है।
राहुकाल में क्या नहीं करना चाहिए ?
राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य का आरम्भ नहीं करना चाहिए।
इस काल में किसी भी चीज़ की खरीदी-बिक्री करने से हानि का सामना करना पड़ता है।
राहुकाल के समय में शुभ ग्रहों के लिए यज्ञ या उनसे सम्बन्धित कार्य करने में राहु बाधक होता है। इस कारण शुभ कार्य सम्पन्न नहीं हो पाते है।
यदि आप किसी कार्य विशेष के लिए राहुकाल के शुरू होने से पहले ही निकल चुके हैं, तो राहुकाल के समय अपनी यात्रा या कार्य नहीं रोकना चाहिए।
राहुकाल में भूलकर भी वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविज़न, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
राहुकाल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य तथा गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
राहुकाल में क्या करना चाहिए ?
राहुकाल में यदि आप राहु से सम्बन्धित कार्य करें, तो सकारात्मक परिणाम मिलता है।
राहुकाल के समय राहु ग्रह की शांति के लिए यज्ञ अनुष्ठान करने चाहिए।
यदि आपकी कुंडली में काल-सर्प दोष है और आप उसके लिए अनुष्ठान कराना चाहते है, तो राहुकाल का समय चुन सकते है। ऐसा करने से अवश्य ही उचित परिणाम प्राप्त होते है।
राहु ग्रह की शान्ति के लिए चींटी या पशु-पक्षी को अनाज खिलाने से तुरंत ही सकारात्मक परिणाम मिलने शुरू हो जाते है।