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शास्त्रों में मलमास को दूषित महीने के रूप में जाना जाता है। हिन्दू धर्म में मलमास को अत्यंत अशुभ माह माना गया है। मलमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। मलमास में गृह प्रवेश, शादी-विवाह आदि कोई भी शुभ कार्य को करने से मना किया गया है।
मलमास क्या होता है ?
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने को ‘संक्रांति’ कहा जाता है। 12 सौर मास और राशियाँ भी 12 होती हैं। जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती, तब मलमास लगता है। ज्योतिष गणना के अनुसार मलमास 32 माह 16 दिन के बाद आता है यानि हर तीसरे वर्ष में मलमास लगता है। यह मलमास 3 साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है। कुछ जगहों पर इसे अधिक मास, तो कही मलमास के नाम से जाना जाता है।
क्यों होता है मलमास में शुभ काम करना वर्जित ?
हिंदू धर्म में मलमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। ऐसा माना गया है कि मलमास होने के कारण यह माह मलिन होता है। इस अधिकमास के महीनों में मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इस महीने के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, वास्तु पूजा, यज्ञोपवीत, नामकरण आदि शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं।
क्या करें मलमास में ?
मलमास के महीने में भगवान की पूजा, व्रत, यज्ञ आदि करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते है, साथ ही मलमास माह के दौरान दान-पुण्य आदि करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से देवों की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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