Karwa Chauth 2018, Puja Muhurat, Pujan Benefits and Vidhi of Karwa Chauth | Shivology


What is the Story of Karwa Chauth?

क्या है करवा चौथ की कथा?

Festivals 2018

1 min read



करवा चौथ

करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपनी पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत करती है। शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को बहुत ही श्रद्धाभाव के साथ मनाती है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले शुरू होता  हैं  और रात को चंद्रमा की पूजा करके व्रत खोला जाता है। इस बीच महिलाएं कुछ भी खाना-पीना नहीं कर सकती है क्योंकि यह व्रत निर्जला होता है। यह त्यौहार पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि में इनका एक अलग ही नजारा होता है।

 

करवा चौथ की विशेषता

इस व्रत को करने से पति की आयु लम्बी होती है।

करवा चौथ के दिन मां पार्वती के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस व्रत को करने से महिलाओं को अपने पति का साथ अगले सात जन्मों तक मिलता है और साथ ही उनके स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती है।

इस दिन महिलाएं हर्षोल्लास के साथ नए वस्त्र पहनकर, सज-धज कर सभी रीति-रिवाज को निभाकर अपने सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद मांगती है।

इस दिन महिलाएं अपने हाथों में मेंहदी लगवाती है। मेंहदी लगवाना बहुत ही शुभ माना जाता है।

करवा चौथ पर शादीशुदा स्त्रियां दुल्हन की तरह तैयार होती है।

 

दिंनाक/मुहूर्त

इस साल करवा चौथ 27 अक्टूबर 2018 को मनाया जाएगा। करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त 06:36 से लेकर 07:55 तक है और चंद्रोदय का समय 09:22 है।

 

करवा चौथ की कथा

एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाना खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।

शाम को जब भाई अपने काम से वापस आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। तभी सारे भाई खाना खाने के लिए बैठे और अपनी बहन से भी खाने को कहा, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है। वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर और उन्हें जल चढाकर ही खाना खा सकती है। क्योंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए मैं अभी खाना नहीं खा सकती हूं।

अपनी बहन की ऐसी हालत भाइयों से नहीं देखी जा रही थी। तब सबसे छोटे भाई ने दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की आड़ में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।

इसके बाद भाई अपनी बहन को बताते है कि चंद्रमा निकल आया है, तुम उनकी पूजा करके और जल चढाकर भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है और उनकी पूजा करके, अर्घ देकर खाना खाने बैठ जाती है। जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालते ही उसके मुंह में बाल आ जाता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।

तब उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता तुमसे नाराज हो गए हैं।

सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठकर उनकी देखभाल करती है। करवा के पति के ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती है। एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उसे आशीर्वाद देने आती हैं, तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो'। ऐसा आग्रह सभी से करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह कर चली जाती है।

इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था। अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है। लेकिन जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जीवित ना कर दे, तुम उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।
सबसे अंत में सबसे छोटी भाभी आती है। करवा  उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह आगपीछ करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।

अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीर कर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। तभी करवा का पति तुरंत “श्रीगणेश” कहता हुआ उठ जाता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से  करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।



Trending Articles



Get Detailed Consultation with Acharya Gagan
Discuss regarding all your concerns with Acharyaji over the call and get complete solution for your problem.


100% Secured Payment Methods

Shivology

Associated with Major Courier Partners

Shivology

We provide Spiritual Services Worldwide

Spiritual Services in USA, Canada, UK, Germany, Australia, France & many more