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ओणम
भारत वर्ष कई संस्कृतियों का मिला-जुला देश है। ऐसा माना जाता है कि भारत कई संस्कृतियों का जन्मदाता है। यहां पर लोग भिन्न- भिन्न तरह के त्यौहार मनाते है। उन्हीं त्यौहारों में से एक त्यौहार है ओणम। ओणम का त्यौहार केरल में मनाया जाता है और साथ ही यह त्यौहार केरल का राष्ट्रीय पर्व है। इस त्यौहार को लोग बहुत ही धूमधाम के साथ दस दिनों तक मनाते है। ओणम के दिनों में मुख्य आकर्षण का केंद्र घरों की सजावट और खानपान पर होता है।
ओणम की विशेषता
यह त्यौहार पूरे दस दिनों तक चलता है।
इन दिनों में लोग घरों को फूलों से सजाते है। साथ ही तरह-तरह के पकवान बनाते है।
ओणम के त्यौहार पर विशेष रूप से नौका की दौड होती है।
ओणम के पर्व पर लोग मंदिरों में नहीं बल्कि घरों में पूजा करते है।
इस त्यौहार में महिलाएं लोक नृत्य, कथकली नृत्य और साथ में गाना भी गाती है।
ऐसी मान्यता है कि ओणम के त्यौहार पर राजा महाबली पृथ्वी लोक पर अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने आते है।
इस त्यौहार पर हर घर के सामने फूलों की रंगोली बनाने और दीप जलाने की परंपरा है।
ओणम का त्यौहार नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है। साथ ही लोग एक-दूसरे को शुभकामना देते हुए बडी धूमधाम के साथ त्यौहार मनाते है।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल ओणम (थिरूवोणम) 24 अगस्त 2018 को मनाया जाएगा।
थिरूवोणम नक्षत्र के शुभ मुहूर्त का आरंभ 24 अगस्त 2018 को सुबह के 06:48 मिनट को होगा और 25 अगस्त 2018 की सुबह 09:49 मिनट पर इसका अंत होगा।
ओणम की कथा
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में राजा महाबलि नामक दैत्य राजा हुआ करते थे। उनकी अच्छाइयों के कारण जनता उनके गुणगान करती थी। वह एक बहुत अच्छे पराक्रमी, न्यायप्रिय, दान-पुण्य, प्रजा का भला सोचने वाले राजा थे। उनका यश बढ़ते देखकर देवताओं को चिंता होने लगी तब उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। देवताओं की बात सुनकर विष्णु भगवान ने माता अदिति के बेटे के रूप में वामन बनकर जन्म लिया।
एक बार महाबली इंद्र से अपने सबसे ताकतवर शस्त्र को बचाने क लिए नर्मदा नदी के किनारे अश्वमेव यज्ञ करते है। यज्ञ संपन्न होने के बाद महाबली बोलते है कि इस यज्ञ के दौरान जो कोई भी मुझेसे कुछ मांगना चाहता है। मांग लो, मैं उसे दे दूंगा। इस बात को सुनकर वामन इस यज्ञ शाला में आते है और महाबली से वामन तीन पग भूमि मांग लेते है। राजा महाबली एक अच्छे राजा थे इसलिए वह वामन को तीन पग भूमि देने के लिए हां कर देते है।
यह बात सुनकर वामन अपने विशाल रूप में आ जाते है। वामन के पहले कदम से सारी धरती समां जाती है और दूसरे कदम में स्वर्गलोक समां जाता है और तीसरे कदम के लिए राजा के पास कुछ नहीं होता तो वह अपना वचन पूरा करने के लिए अपना सिर आगे कर देते है। तो वामन रूपी भगवान विष्णु अपना तीसरा कदम महाबली के सिर पर रखकर उसे पाताल लोक पहुंचा देते है। लेकिन भगवान विष्णु राजा महाबली के सिर पर कदम रखने से पहले उसकी एक इच्छा पूछते है, तो महाबली भगवान विष्णु से कहते हैं की, मैं साल में एक बार धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखकर उनका सुख-दुख जानना चाहता हूं। तब भगवान विष्णु ने महाबली को इस बात के लिए आज्ञा दे दी। तभी से ओणम का त्यौहार राजा महाबली के आगमन के रूप में मनाया जाने लगा।
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