Contact - +91-9599955918
शरद पूर्णिमा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है और वह इस रात अपनी 16 कलाओं में परिपूर्ण होता है। इस रात्रि में चंद्रमा का प्रकाश सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। साथ ही इस रात से शीत ऋतु का आरंभ भी होता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा में चंद्रमा अपनी किरणों के माध्यम से अमृत गिराते है। रावण शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से निकलने वाले किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि में ग्रहण करता था और साथ ही पुनर्योवन शक्ति प्राप्त करता था।
शरद पूर्णिमा की विशेषता
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से आपको धन का लाभ होता है।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है, तो वह मन और शरीर को शीतलता प्रदान करता है।
इस दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। साथ ही यह अमृत धन, प्रेम और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
शरद पूर्णिमा दमा रोगियों के लिए वरदान साबित होती है।
इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा को भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है।
शरद पूर्णिमा की रात को हनुमान जी के आगे चौमुख वाला दिया जलाना चाहिए। इसे आपके घर में सुख-शांति का वास होता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था।
दिंनाक/मुहूर्त
इस साल शरद पूर्णिमा 23 अक्टूबर 2018 को है। शरद पूर्णिमा में चंद्रोदय का समय शाम 06:35 का है।
शरद पूर्णिमा की कथा
एक साहुकार को दो बेटियां थी। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थी। बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी, लेकिन छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। इसका परिणाम स्वरूप छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी।
उसने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम पूर्णिमा का व्रत अधूरा करती थी, इसीलिए तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।
उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का व्रत पूरी विधि-विधान से किया। इसके बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन कुछ दिनों पश्चात उसका पुत्र मर गया। उसने अपने पुत्र को एक पीढे पर लेटाकर ऊपर से कपडा ढक दिया। उसके बाद उसने अपनी बडी बहन को बुलाया और उस पीढे पर बैठने को कहा। जब बडी बहन पीढे पर बैठने जा रही थी तभी उसका घाघरा बच्चे को छू गया।
बच्चे के घाघरा छूते ही वह रोने लगा। तब बडी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंकित करना चाहती थी। मेरे बैठते ही यह बच्चा मर जाता, तब छोटी बहन ने कहा कि यह बच्चा पहले से ही मरा हुआ था। तेरे भाग्य और पुण्य से यह बच्चा पुन: जीवित हो गया। तभी से शरद पूर्णिमा की पूजा और व्रत करना शुरू हुआ है।
There are no reviews available.
If you want to consult Swami Gagan related to your Horoscope, Marriage & Relationship Matters or if you are facing any kind of problem, then send your query here to book an Appointment or call on this number +91-9599955918
100% Secured Payment Methods
Associated with Major Courier Partners
We provide Spiritual Services Worldwide