Contact - +91-9599955918
करवा चौथ
करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत करती है।
शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को बहुत ही श्रद्धाभाव के साथ रखती है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले शुरू होता हैं और रात को चंद्रमा की पूजा करने के बाद व्रत खोला जाता है।
व्रत के दौरान महिलाएं कुछ भी खाना-पीना नहीं कर सकती है क्योंकि यह व्रत निर्जला होता है। यह त्यौहार पूरे भारत वर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि में इनका एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है।
करवा चौथ की विशेषता
करवा चौथ दिंनाक/मुहूर्त
करवा चौथ की कथा
एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाना खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को जब भाई अपने काम से वापस आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। तभी सारे भाई खाना खाने के लिए बैठे और अपनी बहन से भी खाने को कहा, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है। वह सिर्फ चंद्रमा को देखकर और उन्हें जल चढाकर ही खाना खा सकती है। क्योंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए मैं अभी खाना नहीं खा सकती हूं।
अपनी बहन की ऐसी हालत भाइयों से नहीं देखी जा रही थी। तब सबसे छोटे भाई ने दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की आड़ में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताते है कि चंद्रमा निकल आया है, तुम उनकी पूजा करके और जल चढाकर भोजन कर सकती हो। बहन खुशी- खुशी सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है और उनकी पूजा करके, अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालते ही उसके मुंह में बाल आ जाता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
तब उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता तुमसे नाराज हो गए हैं।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठकर उनकी देखभाल करती है।
करवा के पति के ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती है। एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियां उसे आशीर्वाद देने आती हैं, तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागन बना दो'। ऐसा आग्रह सभी से करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने को कह कर चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था। अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है।
लेकिन जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जीवित ना कर दे, तुम उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कहकर वह चली जाती है।
सबसे अंत में सबसे छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागन बनाने का आग्रह करती है, लेकिन वह आगपीछ करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीर कर उसमें से अमृत की कुछ बूंदे उसके पति के मुंह में डाल देती है। तभी करवा का पति तुरंत “श्रीगणेश” कहता हुआ उठ जाता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।
There are no reviews available.
If you want to consult Swami Gagan related to your Horoscope, Marriage & Relationship Matters or if you are facing any kind of problem, then send your query here to book an Appointment or call on this number +91-9599955918
100% Secured Payment Methods
Associated with Major Courier Partners
We provide Spiritual Services Worldwide