Gauri Puja 2018, Gauri Puja Muhurat and Gauri Pujan Vidhi | Shivology


Gauri Puja 2018 | Gauri Puja Significance & Katha

गौरी पूजा 2018 | गौरी पूजा महत्व और कथा

Festivals 2018

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गौरी पूजा

हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं का अपना महत्व होता है। उसी प्रकार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह में मां गौरी की पूजा करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मां पार्वती को ही  मां गौरी के नाम से भी जाता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण यह “पार्वती” और अत्यंत गौरवर्ण होने की वजह से “गौरी” कहलाई जाती है। मां गौरी को सभी देवियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। देवी सीता ने मां गौरी की पूजा करके श्रीराम को वर के रूप में प्राप्त किया था। रुक्मिणी जी ने भी मां गौरी की पूजा करके मनचाहा वर प्राप्त किया था।

मां गौरी की विशेषता

मां गौरी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

इनकी पूजा करने से कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।

मां गौरी की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है और योग्य जीवनसाथी मिलता है।

इनकी पूजा करने से इंसान की हर मनोकामना पूरी होती है।

गौरी मां की पूजा करने से जल्दी शादी, सुखी दाम्पत्य जीवन और अमंगल का नाश होता है।

गौरी पूजा कब है और क्या हैं इसका शुभ मुहूर्त?

इस साल गौरी पूजा 16 सितंबर 2018 को है। गौरी पूजा का मुहूर्त सुबह के 06:15 से लेकर शाम के 06:18 तक रहेगा।

 

मां गौरी की कथा

प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक सेठ अपनी पत्नी के साथ सुखी जीवन-व्यतीत कर रहा था। धर्मपाल के जीवन में धन, वैभव की कोई कमी नही थी। किन्तु उसे केवल एक बात का दुख हमेशा सताता था, कि उसकी कोई संतान नहीं थी। सेठ  धर्मपाल  नियमित  रूप से पूजा-पाठ और  दान-पुण्य  किया करता था। कुछ समय पश्चात पूजा-पाठ तथा अच्छे कार्यों से सेठ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ। जब सेठ धर्मपाल को अपने पुत्र की आयु के सम्बन्ध में ज्ञात होता है कि उसका पुत्र अल्पायु है, तो उसे अपने किस्मत पर बड़ा दुख होता है। सेठ धर्मपाल बहुत परेशान हो जाता है, तब सेठ की पत्नी बोलती है कि भाग्य को कैसे बदला जा सकता है। अतः प्रभु की इच्छा में हमारी इच्छा निहित है। प्रभु जो भी करेंगे अच्छा ही करेंगे। कुछ समय पश्चात सेठ धर्मपाल अपने पुत्र का विवाह एक योग्य और संस्कारी कन्या से कर देता है। कन्या बचपन से ही माता गौरी का व्रत किया करती थी। इस प्रभाव से कन्या को माता गौरी से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे सेठ धर्मपाल के पुत्र की आयु दीर्घायु में परिवर्तित हो जाती है।



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