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Chhath Puja 2018, Chhath Puja Muhurat , Katha and Puja Vidhi | Shivology
Chhath Puja 2018 | Date, Muhurat, Significance & Katha om swami gagan

छठ पूजा 2018 | तिथि, मुहूर्त, महत्व और कथा


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छठ पूजा

छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है। छठ पूजा में माता छठी और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस पूजा का अपना ही महत्व है। भारत वर्ष में छठ पूजा को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में बहुत ही हर्षोल्लास और निष्ठा के साथ मनाया जाता है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान सूर्य की पूजा करने से आयु, बल, बुद्धि और तेज की प्राप्ति होती है। यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है।

 

छठ पूजा की विशेषता

छठी मैया की पूजा और व्रत करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति  होती है।

छठ पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि और सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

इस व्रत को पूरी निष्ठा और विधि-विधान के साथ करना बहुत शुभ माना जाता है।

छठ का व्रत करने से मनुष्य को यश, वैभव, धन और सौभाग्य प्राप्त होता है।

इस व्रत को करने के लिए पवित्र नदी के जल से भगवान सूर्य को जल चढाया जाता है और साथ ही नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।

जब कोई किसी तरह की मनौती मांगता है और वह मनौती पूरी हो जाती है, तो व्यक्ति जमीन पर लेटते हुए घाट तक जाता है।

अगर कोई व्यक्ति मनौती पूर्ण होने के बाद अपने को कष्ट देते हुए घाट तक नहीं जाता तो उसका परिणाम अच्छा नहीं होता है।

 

दिंनाक/मुहूर्त

इस साल छठ पूजा 13 नवंबर 2018 को मनाई जाएगी। प्रात:काल छठ पूजा करने का शुभ मुहुर्त 06:55 और सूर्यास्त का समय 05:27 है।

 

छठ पूजा की कथा

प्राचीन समय में एक राजा रानी हुआ करते थे,जिनकी कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। इस यज्ञ के फल स्वरूप रानी गर्भवती हो गई।

नौ महीने बाद जब संतान सुख की प्राप्ति करने का समय आया तो रानी को मृत बच्चा पैदा हुआ , जिसके कारण राजा रानी दोनों ही बहुत दुखी थे। संतान के शोक में वह आत्महत्या का मन बना चुके थे। परंतु जैसे ही दोनों ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने षष्ठी देवी प्रकट हो गई।

देवी ने कहा जो मेरी पूजा करता है, मैं उसको पुत्र होने का सौभाग्य देती हूं। इसके अलावा जो भी मनुष्य सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे, तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। देवी की बातों से प्रभावित होकर दोनों ने उनकी आज्ञा का पालन किया।

राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन षष्ठी मैया की पूरे विधि-विधान से पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से छठ पूजा का पावन त्यौहार  मनाया जाने लगा।     

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