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Narak Chaturdashi 2018 All Information with Muhurat and Puja Vidhi | Shivology
What is Narak Chaturdashi? om swami gagan

नरक चतुर्दशी क्या है?


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हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का त्यौहार हर साल कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह त्यौहार दिपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसे छोटी दिपावली और काली चौदस भी कहा जाता है। इस दिन सूर्योदय होने से पहले स्नान करके यम तर्पण और शाम के वक्त दीप दान करना  चाहिए। नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस चतुर्दशी पर अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज की पूजा व उपासना की जाती है।

 

नरक चतुर्दशी की विशेषता

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद विष्णु या कृष्ण मंदिर में जाकर दर्शन इनके करना शुभ होता है। इससे इंसान के सारे पाप मिट जाते है।

इस दिन रात को घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दिया जला कर पूरे घर में घुमा कर उस दिये को घर से बाहर कहीं दूर रख कर आते है। घर के अन्य सदस्य द्वारा इस दिये  को  नहीं  देखना चाहिए, क्योंकि इस दिये को यम का दिया कहते है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिये को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुराइयां और बुरी शक्तियां घर से दूर हो जाती है। साथ ही इस दिये को बाहर रखने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के बाद दक्षिण की तरफ मुख करके यमराज से प्रार्थना करने पर व्यक्ति के वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं।

 

नरक चतुर्दशी का दिन और मुहूर्त

इस साल नरक चतुर्दशी 06 नवंबर 2018 को मनाई जाएगी।

अभ्यंग स्नान मुहूर्त सुबह के 04:53 से लेकर 06:15 तक है।

 

नरक चतुदशी से संबंधित पूजा

इस दिन विशेष रूप से भगवान यमराज की पूजा की जाती है।

 

नरक चतुर्दशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर नाम के असुर का वध किया था। नरकासुर ने सोलह हजार कन्याओं को बंदी बनाकर रखा हुआ था।

नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया था। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि यह समाज हमें स्वीकार नहीं करेगा, अतः आप ही कोई उपाय बताए। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया था।

नरकासुर का वध और सोलह हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई। एक अन्य मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नरक के यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण भी नरक चतु्र्दशी के दिन दीप दान और पूजा का विधान है।

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