भारतीय ज्योतिष में 9 ग्रह बताए गए हैं। जिनकी स्थिति के अनुसार ज्योतिषी जातक के जीवन में होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओ की भविष्यवणी करते है | ग्रहों के स्वभावानुसार उनकी उच्च व नीच राशियों का निर्धारण किया गया है। उच्च राशि से तात्पर्य है जहाँ ग्रह अपना पूर्ण फल देने की अवस्था में हो और नीच राशि अर्थात जहाँ ग्रह, निर्बल, दुखी, क्षीण हो और अपना फल दे पाने में पूर्ण रूप से सक्षम ना हो ।
ग्रह जिस राशि में उच्च के होते है उससे 7 राशि में यानि 180 डिग्री में जाकर नीच के हो जाते है |
जैसे सूर्य मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते है (0° - 10°) |
चन्द्रमा वृष राशि में उच्च के और वृश्चिक राशि में नीच का होता है (0° - 03°) |
मंगल मकर राशि में उच्च का और कर्क राशि में नीच का होता है (0° - 28°) |
बुध ग्रह कन्या राशि में उच्च का और मीन राशि में नीच का होता है (0° - 15°) |
बृहस्पति ग्रह कर्क राशि में उच्च के और मकर राशि में नीच के होते है (0° - 5°) |
शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च के और कन्या राशि में नीच का होता है (0° - 27°) |
शनि ग्रह तुला राशि में उच्च का और मेष राशि में नीच के फल प्रदान करता है (0° - 20°) |
जब भी जातक के जीवन में उच्च ग्रह की दशा आती है तो उस का उत्थान होता है| वो अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है| उसके बिगड़े हुए काम भी बनने लगते है | वही नीच के ग्रह की दशा में जातक निराशाओं से घिर जाता है | उस स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आ सकती है | उसे व्यापार में घाटा हो सकता है|