ज्योतिष शास्त्र में फल कथन के लिए लग्न कुंडली को सबसे ऊपर माना गया है | बिना लग्न कुंडली के कोई भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है | जितने भी योग चाहे अच्छे हो या बुरे जन्म कुंडली में ही बनते है| किन्तु कोई ग्रह कितना फल दे पाएंगे ये निश्चित करने के लिए शास्त्रों में वर्ग कुंडली का अध्यन भी आवश्यक बताया गया है | बहुत बार जन्म कुण्डली में योग अच्छे बने होते हैं और ग्रह भी बली अवस्था में होता है लेकिन फिर भी व्यक्ति को शुभ फल नहीं मिलते हैं क्योकि ग्रह वर्ग कुण्डली में कमजोर हो जाता है |
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि लग्न कुंडली पेड़ है तो वर्ग कुंडली के ग्रह उस के फल की कीमत बताते है | अगर ग्रह जन्म कुण्डली में बली है और संबंधित वर्ग कुण्डली में कमजोर है तब अनुकूल फल नहीं मिलते हैं| यदि ग्रह जन्म कुण्डली में कमजोर और संबंधित वर्ग कुण्डली में बली है तब कुछ बाधाओ के बाद फल अनुकूल मिलते हैं|
मूल रूप से वर्गों का प्रयोग ग्रहो के बल के आकलन के लिए किया जाता है | एक बली ग्रह जो 10 वर्गों में अच्छी स्थिति में होता है शुभ परिणाम देता है | जो ग्रह लग्न कुंडली में जिस राशि में होता है अगर वही ग्रह नवमांश कुंडली में भी उस राशि में स्थित हो तो उसे वर्गोतम कहते है| वर्गोतम ग्रह उच्च ग्रह की तरह ही अच्छे फल देने में सक्षम होता है |