ज्योतिषशास्त्र ग्रहो द्वारा प्राप्त होने वाले परिणामो का अध्ययन है | ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रह है जिनमें से सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र व शनि मुख्य ग्रह माने गए है और राहु और केतु को छाया ग्रह की संज्ञा दी गयी है | हर ग्रह की अपनी 1 विषेशता है और उसी विशेषता के हिसाब से वह कुंडली में फल प्रदान करता है |
(१) सूर्य - ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है | सूर्य जातक को तेज, सम्मान, पराक्रम, शौर्य, राज्यसत्ता, राजसेवा, यश, प्रकाश और उत्साह प्रदान करता है |
(२) चन्द्रमा- ज्योतिष में चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है | चन्द्रमा जातक को शीतलता, भावुक, कल्पनाशील, सौंदर्य, लज्जावान, सवेंदनशील और कोमल बनाता है |
(३) मंगल - ज्योतिष में मंगल को सेनापति का कारक माना गया है | मंगल जातक को निर्भयी, साहसी, निर्णय लेने में सक्षम और जाबाज बनाता है |
(४) बुध - ज्योतिष में बुध बुद्धि का कारक माना गया है | बुध ग्रह जातक को विद्वान, लेखक, कुशलवक्ता, एक अच्छा गणितज्ञ तथा दूसरो को सम्मोहित करने वाला बनाता है |
(५) बृहस्पति - ज्योतिष में बृहस्पति देव को गुरु का दर्जा दिया गया है| बृहस्पति ग्रह जातक को ज्ञान, संतान, धन, न्यायाधीश, दयालु और एक अच्छा क़ानूनी सलाहकार बनाता है |
(६) शुक्र - ज्योतिष में शुक्र ग्रह को मंत्री की संज्ञा दी गयी है | शुक्र ग्रह जातक को आकर्षक व्यक्तित्व, वार्तालाप में दक्ष, कला प्रेमी, विवाह, प्रेम सम्बन्ध, दुनियादारी तथा पारिवारिक संबंधो का ज्ञान कराता है |
(७) शनि- ज्योतिष में शनि ग्रह अपने अधीनस्थ कार्य कर रहे लोगो के बारे में बताते है | शनि ग्रह जातक को दार्शनिक, मितव्ययी, सावधान और सतर्कतापूर्वक लेकिन धीमी चाल से कार्य करने वाला बनाते है |
(८) राहु - ज्योतिष में राहु ग्रह को छाया ग्रह माना गया है | राहु जातक को हठी, अस्थिर, कूटनीतिज्ञ, आलसी, झूठा, मक्कार और रूढ़िमुक्त बनाता है |
(९) केतु - ज्योतिष में राहु के साथ-साथ केतु को भी छाया ग्रह माना गया है | केतु ग्रह जातक को रहस्यमयी, गुप्त प्रवर्ति, चालक, छल कपट, और अंतर्मुखी बनाता है |