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Shani Shanti ke Upay
शास्त्रों के अनुसार शनिदेव को न्यायाधीश का पद प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के हर अच्छे और बुरे कार्य का फल शनिदेव ही देते हैं। इसलिए शनि की दशा या साढ़े साती लगते ही व्यक्ति के अच्छे या बुरे दिन शुरु हो जाते हैं और जिसके जैसे कर्म होते हैं, उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है। अगर किसी की कुंडली में शनि ग्रह उचित स्थान पर विराजित हों, तो वह रंक को भी राजा बना सकते हैं और शनि देव किसी की कुंडली में प्रतिकूल स्थान पर बैठे हो, तो उस इंसान का संपूर्ण जीवन परेशानियों से भर जाता है। शनि देव इंसान को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं, उनकी नियति निर्धारित करते हैं। पापियों को दंड देने वाले भगवान शनि से हर कोई थर-थर कांपता है।
इन सभी मुश्किलों से निजात पाने के लिए आज हम आपको कुछ सरल उपाय बता रहे है :-
- शनि ग्रह शांति के लिए खाली पेट नाश्ते से पहले काली मिर्च चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं।
- शनि शांति के लिए शनिवार और मंगलवार को क्रोध ना करें।
- शनि शांति के लिए भोजन के बाद लौंग खाये।
- मछली, मांस, शराब तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए।
- भोजन करते समय मौन रहें।
- प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर तथा नाखूनों पर तेल की मालिश करें।
- शनिवार के दिन काले रंग की चिड़िया खरीदकर उसे दोनों हाथों से आसमान में उड़ा दें। इसे आपकी दुख-तकलीफें दूर होगी।
- शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।
- प्रत्येक शनि अमावस्या को अपने वजन का दशांश सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करना चाहिए।
- काले घोड़े की नाल अथवा नाव की कील से बना हुआ छल्ला अभिमंत्रित करके धारण करने से शनि देव के दुष्प्रभाव कम होते है।
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